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पेशाब करते वक्त बन रहा है झाग तो शरीर के अंदर हो रही है ये गड़बड़ी, जरूर करवाएं ये टेस्ट
 <p style="text-align: justify;">पेशाब में झाग आना कई बार नॉर्मल बात हो सकती है, लेकिन अगर ऐसा बार-बार होता है, तो यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है. पेशाब के रंग में बदलाव, पेशाब में जलन और पेशाब करते समय झाग आना कई बीमारियों के संकेत हो सकते हैं और इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.</p>
<p style="text-align: justify;">आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति इस तरह की समस्या से गुजर रहे हैं तो आप उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाने की सलाह दें. यह आपकी सेहत से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकता है. इंडिया टीवी इंग्लिश पॉर्टल में छपी खबर के मुताबिक पेशाब में झाग आने के क्या कारण हैं और ऐसी स्थिति में आपको कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए इस पर विस्तार से बात करेंगे.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पेशाब में झाग आने के पीछे ये गंभीर समस्याएं हो सकती हैं:</strong></p>
<p style="text-align: justify;">शरीर में प्रोटीन का लेवल बढ़ना: किडनी की समस्याओं के कारण पेशाब में प्रोटीन आ सकता है, जिससे झागदार पेशाब आ सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>किडनी की समस्याएं:</strong> अगर किडनी ठीक से काम नहीं करती है, तो पेशाब में झाग आ सकता है. दरअसल, किडनी से जुड़ी समस्याएं भी पेशाब में झाग आने का एक बड़ा कारण हो सकती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>डायबिटीज:</strong> मधुमेह के रोगियों के पेशाब में अधिक चीनी झाग का कारण बन सकती है. जब शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, तो पेशाब में झाग बन सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;">पेशाब के रास्तें में इंफेक्शन (यूटीआई) या प्रोस्टेट की समस्या भी झागदार पेशाब का कारण बन सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पेशाब में झाग आने पर कौन से टेस्ट करवाने चाहिए?</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यूरिन रूटीन टेस्ट:</strong> पेशाब में प्रोटीन, ग्लूकोज और अन्य तत्वों की जांच के लिए यह जरूरी है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ब्लड टेस्ट (किडनी फंक्शन टेस्ट):</strong> किडनी की कार्यप्रणाली जानने के लिए यह टेस्ट करवाएं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>माइक्रोएल्ब्यूमिन टेस्ट:</strong> पेशाब में प्रोटीन की मात्रा की जांच करता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें : </strong><a href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/health-tips-astronaut-sunita-williams-weight-continuously-decreasing-in-space-know-how-dangerous-it-is-2837508/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp"><strong>स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक</strong></a> </p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अल्ट्रासाउंड (किडनी और प्रोस्टेट जांच)</strong>: किडनी और मूत्र पथ की स्थिति की जांच करने के लिए.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: <a title="दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च" href="https://ift.tt/Pnwfcj0" target="_blank" rel="noopener">दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च</a></strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>डॉक्टर से कब संपर्क करें? </strong></p>
<p style="text-align: justify;">अगर पेशाब में बार-बार झाग आता है. पेशाब का रंग गहरा पीला, लाल या असामान्य होता है. पेशाब करते समय जलन, दर्द या किसी तरह की तकलीफ होती है और शरीर में सूजन होती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="सिर्फ एक सिगरेट पीने से खत्म हो जाते हैं जिंदगी के इतने मिनट, चेन स्मोकर्स को डराने वाली स्टडी आ गई सामने" href="https://ift.tt/LO3gsjT" target="_self">सिर्फ एक सिगरेट पीने से खत्म हो जाते हैं जिंदगी के इतने मिनट, चेन स्मोकर्स को डराने वाली स्टडी आ गई सामने</a></strong></p>
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पेशाब करते वक्त बन रहा है झाग तो शरीर के अंदर हो रही है ये गड़बड़ी, जरूर करवाएं ये टेस्ट

पेशाब में झाग आना कई बार नॉर्मल बात हो सकती है, लेकिन अगर ऐसा बार-बार होता है, तो यह किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है. पेशाब के रंग में बदलाव, पेशाब में जलन और पेशाब करते समय झाग आना कई बीमारियों के संकेत हो सकते हैं और इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए.

आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति इस तरह की समस्या से गुजर रहे हैं तो आप उन्हें तुरंत डॉक्टर के पास जाने की सलाह दें. यह आपकी सेहत से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकता है. इंडिया टीवी इंग्लिश पॉर्टल में छपी खबर के मुताबिक पेशाब में झाग आने के क्या कारण हैं और ऐसी स्थिति में आपको कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए इस पर विस्तार से बात करेंगे.

पेशाब में झाग आने के पीछे ये गंभीर समस्याएं हो सकती हैं:

शरीर में प्रोटीन का लेवल बढ़ना: किडनी की समस्याओं के कारण पेशाब में प्रोटीन आ सकता है, जिससे झागदार पेशाब आ सकता है.

किडनी की समस्याएं: अगर किडनी ठीक से काम नहीं करती है, तो पेशाब में झाग आ सकता है. दरअसल, किडनी से जुड़ी समस्याएं भी पेशाब में झाग आने का एक बड़ा कारण हो सकती हैं.

डायबिटीज: मधुमेह के रोगियों के पेशाब में अधिक चीनी झाग का कारण बन सकती है. जब शरीर में रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, तो पेशाब में झाग बन सकता है.

पेशाब के रास्तें में इंफेक्शन (यूटीआई) या प्रोस्टेट की समस्या भी झागदार पेशाब का कारण बन सकती है.

पेशाब में झाग आने पर कौन से टेस्ट करवाने चाहिए?

यूरिन रूटीन टेस्ट: पेशाब में प्रोटीन, ग्लूकोज और अन्य तत्वों की जांच के लिए यह जरूरी है.

ब्लड टेस्ट (किडनी फंक्शन टेस्ट): किडनी की कार्यप्रणाली जानने के लिए यह टेस्ट करवाएं.

माइक्रोएल्ब्यूमिन टेस्ट: पेशाब में प्रोटीन की मात्रा की जांच करता है.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक 

अल्ट्रासाउंड (किडनी और प्रोस्टेट जांच): किडनी और मूत्र पथ की स्थिति की जांच करने के लिए.

यह भी पढ़ें: दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च

डॉक्टर से कब संपर्क करें?

अगर पेशाब में बार-बार झाग आता है. पेशाब का रंग गहरा पीला, लाल या असामान्य होता है. पेशाब करते समय जलन, दर्द या किसी तरह की तकलीफ होती है और शरीर में सूजन होती है.

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मेघन मार्कल की तरह चाहिए टोंड बॉडी तो रोजाना खाएं ये खास चीज, दिखने लगेगा असर
 <p style="text-align: justify;">'डचेस ऑफ ससेक्स' मेघन मार्कल इस साल 43 साल की हो गई हैं और वह एक ऐसी डाइट लेती हैं जो उन्हें फिट और स्वस्थ रखने में मदद करता है. मार्कल ने 'ड्यूक ऑफ ससेक्स' प्रिंस हैरी से शादी की है और उनके दो बच्चे हैं. डचेस अपने डाइट को लेकर काफी ज्यादा स्ट्रीक्ट रहती हैं, हालांकि, वह कभी-कभार इसमें कुछ बदलाव करती हैं. मेघन मार्कल के डाइट सिक्रेट के बारे में आप विस्तार से जानें.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मेघन मार्कल का नाश्ता</strong><br />ससेक्स की डचेस अपने दिन की शुरुआत एक बेहद सेहतमंद नाश्ते से करती हैं. वह एक कप गर्म पानी और नींबू पीती हैं, जिसके बाद बादाम या सोया दूध से बने स्टील-कट ओट्स का एक कटोरा लेती हैं. ओमिड स्कोबी और कैरोलिन डूरंड द्वारा लिखी गई शाही जीवनी फाइंडिंग फ्रीडम के अनुसार, इस पर केले और एगेव सिरप की एक बूंद डाली जाती है. इसके साथ ही, वह टोस्ट के साथ ऑमलेट भी खाती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ग्रीन जूस के लिए प्यार</strong><br />सूट की पूर्व अभिनेत्री कैफीन से दूर रहना पसंद करती हैं और इसके बजाय, ग्रीन जूस पीती हैं जो उन्हें ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करते हैं। टुडे से बात करते हुए, उन्होंने कहा, शाम 4 बजे जब आप थक जाते हैं, तो कॉफी पीने के लिए जल्दी में फंसना आसान होता है. लेकिन अगर मैं सुबह अपने विटामिक्स में कुछ सेब, केल, पालक, नींबू और अदरक मिलाती हूँ और इसे काम पर ले जाती हूँ, तो मुझे हमेशा लगता है कि इसे पीना एक कप एस्प्रेसो से कहीं ज़्यादा बेहतर है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मेघन मार्कल का पसंदीदा ब्रेकफास्ट</strong><br />मार्कल का पसंदीदा नाश्ता मूंगफली के मक्खन के साथ सेब के टुकड़े हैं. शाही जीवनी फाइंडिंग फ्रीडम के अनुसार यह भोजन के बीच उनका पसंदीदा पिक-मी-अप था.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: <a title="दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च" href="https://ift.tt/Pnwfcj0" target="_blank" rel="noopener">दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च</a></strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मेघन मार्कल कम्फर्ट मील</strong><br />दो बच्चों की मां ने शेयर किया कि उनका पसंदीदा कम्फर्ट फ़ूड मैक और चीज़ है. आईस्वून से बात करते हुए, उन्होंने कहा, अब मैं एनी का ऑर्गेनिक खरीदती हूं, अगर मुझे इसकी तलब होती है, लेकिन मैं इसमें कुछ जमे हुए मटर डाल देती हूं और इस स्वादिष्ट, सरल, बच्चों जैसे भोजन का आनंद लेती हूं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मेघन मार्कल संडे डिनर</strong><br />मार्कल को परिवार और दोस्तों के साथ संडे डिनर पसंद है. उन्हें लैम्ब टैगाइन, पॉट रोस्ट या कम्फर्टिंग सूप बहुत पसंद है. फिलिपिनो-स्टाइल चिकन एडोबो जैसे धीमी आंच पर पकाए जाने वाले व्यंजन भी उनके पसंदीदा व्यंजनों में से एक हैं. उन्होंने कहा, यह बहुत आसान है. बस लहसुन, सोया (या ब्रैग लिक्विड अमीनो), सिरका, शायद थोड़ा नींबू मिलाएँ, और चिकन को क्रॉक-पॉट में तब तक पकने दें जब तक कि यह हड्डी से अलग न हो जाए.</p>
<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें : <a title="नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे" href="https://ift.tt/UOA8gM2" target="_blank" rel="noopener">नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे</a></strong></p>
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मेघन मार्कल की तरह चाहिए टोंड बॉडी तो रोजाना खाएं ये खास चीज, दिखने लगेगा असर

'डचेस ऑफ ससेक्स' मेघन मार्कल इस साल 43 साल की हो गई हैं और वह एक ऐसी डाइट लेती हैं जो उन्हें फिट और स्वस्थ रखने में मदद करता है. मार्कल ने 'ड्यूक ऑफ ससेक्स' प्रिंस हैरी से शादी की है और उनके दो बच्चे हैं. डचेस अपने डाइट को लेकर काफी ज्यादा स्ट्रीक्ट रहती हैं, हालांकि, वह कभी-कभार इसमें कुछ बदलाव करती हैं. मेघन मार्कल के डाइट सिक्रेट के बारे में आप विस्तार से जानें.

मेघन मार्कल का नाश्ता
ससेक्स की डचेस अपने दिन की शुरुआत एक बेहद सेहतमंद नाश्ते से करती हैं. वह एक कप गर्म पानी और नींबू पीती हैं, जिसके बाद बादाम या सोया दूध से बने स्टील-कट ओट्स का एक कटोरा लेती हैं. ओमिड स्कोबी और कैरोलिन डूरंड द्वारा लिखी गई शाही जीवनी फाइंडिंग फ्रीडम के अनुसार, इस पर केले और एगेव सिरप की एक बूंद डाली जाती है. इसके साथ ही, वह टोस्ट के साथ ऑमलेट भी खाती हैं.

ग्रीन जूस के लिए प्यार
सूट की पूर्व अभिनेत्री कैफीन से दूर रहना पसंद करती हैं और इसके बजाय, ग्रीन जूस पीती हैं जो उन्हें ऊर्जावान बनाए रखने में मदद करते हैं। टुडे से बात करते हुए, उन्होंने कहा, शाम 4 बजे जब आप थक जाते हैं, तो कॉफी पीने के लिए जल्दी में फंसना आसान होता है. लेकिन अगर मैं सुबह अपने विटामिक्स में कुछ सेब, केल, पालक, नींबू और अदरक मिलाती हूँ और इसे काम पर ले जाती हूँ, तो मुझे हमेशा लगता है कि इसे पीना एक कप एस्प्रेसो से कहीं ज़्यादा बेहतर है.

मेघन मार्कल का पसंदीदा ब्रेकफास्ट
मार्कल का पसंदीदा नाश्ता मूंगफली के मक्खन के साथ सेब के टुकड़े हैं. शाही जीवनी फाइंडिंग फ्रीडम के अनुसार यह भोजन के बीच उनका पसंदीदा पिक-मी-अप था.

यह भी पढ़ें: दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च

मेघन मार्कल कम्फर्ट मील
दो बच्चों की मां ने शेयर किया कि उनका पसंदीदा कम्फर्ट फ़ूड मैक और चीज़ है. आईस्वून से बात करते हुए, उन्होंने कहा, अब मैं एनी का ऑर्गेनिक खरीदती हूं, अगर मुझे इसकी तलब होती है, लेकिन मैं इसमें कुछ जमे हुए मटर डाल देती हूं और इस स्वादिष्ट, सरल, बच्चों जैसे भोजन का आनंद लेती हूं.

मेघन मार्कल संडे डिनर
मार्कल को परिवार और दोस्तों के साथ संडे डिनर पसंद है. उन्हें लैम्ब टैगाइन, पॉट रोस्ट या कम्फर्टिंग सूप बहुत पसंद है. फिलिपिनो-स्टाइल चिकन एडोबो जैसे धीमी आंच पर पकाए जाने वाले व्यंजन भी उनके पसंदीदा व्यंजनों में से एक हैं. उन्होंने कहा, यह बहुत आसान है. बस लहसुन, सोया (या ब्रैग लिक्विड अमीनो), सिरका, शायद थोड़ा नींबू मिलाएँ, और चिकन को क्रॉक-पॉट में तब तक पकने दें जब तक कि यह हड्डी से अलग न हो जाए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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Myths Vs Facts: हार्ट फेल होने पर दिल धड़कना बंद कर देता है? आइए जानें क्या है पूर सच
 <p style="text-align: justify;">आजकल खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण दिल से जुड़ी गंभीर बीमारी के केसेस काफी ज्यादा संख्या में सामने आ रहे हैं. आज हम इस बारे में विस्तार से बात करेंगे कि हार्ट फेल होने पर दिल धड़कना पूरी तरह से बंद हो जाता है? दरअसल, अक्सर लोग कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर दोनों को लेकर कनफ्यूज रहते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>Myths Vs Facts: हार्ट फेलियर और कार्डियक अरेस्ट होने पर क्या होता है?</strong></p>
<p style="text-align: justify;">जब भी किसी व्यक्ति का हार्ट फेलियर होता है तो उसमें दिल काम करता रहता है लेकिन हार्ट ब्लड को ठीक से पंप नहीं कर पाता है जितना उसे करना चाहिए. ऐसी स्थिति में उसे सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, पैरों औट टखनों में सूजन, लगातार खांसी और घरघराहट शुरू हो जाती है. वहीं कार्डियक अरेस्ट के दौरान दिल अचानक से धड़कना ही बंद हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति कुछ बोल भी नहीं पाता और सांस लेना बंद कर देता है. </p>
<p style="text-align: justify;">हार्ट फेलियर का मतलब यह नहीं है कि दिल ने धड़कना बंद कर दिया है. हार्ट फेलियर एक गंभीर स्थिति है जो तब होती है जब हृदय शरीर के दूसरे अंगों तक पर्याप्त खून और ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाती है. हृदय काम करना जारी रखता है, लेकिन यह उतना प्रभावी नहीं होता. अचानक कार्डियक अरेस्ट (SCA) एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है. जब ऐसा होता है, तो मस्तिष्क और दूसरे अंगों में ब्लड का फ्लो रुक जाता है. यदि इसका इलाज समय रहते नहीं किया जाता है, तो SCA आमतौर पर कुछ ही मिनटों में मृत्यु का कारण बनता है. लेकिन डिफिब्रिलेटर के साथ तुरंत इलाज जिंदगी बचा सकती है. </p>
<p style="text-align: justify;">कार्डिए अरेस्ट और हार्ट अटैक में काफी अंतर होता है. जब हार्ट में खून नहीं पहुंचता तब हार्ट अटैक आता है लेकिन कार्डिएक अरेस्ट में हार्ट अचानक से ही काम करना बंद कर देता है.<br />2. जब आर्टिरीज में ब्लड फ्लो रुक जाता है या खत्म हो जाता है, तब ऑक्सीजन की कमी से हार्ट का वह भाग डेड होने लगता है. वहीं, दूसरी तरफ कार्डिएक अरेस्ट में दिल अचानक से धड़कना बंद कर देता है. ऐसा होने पर कुछ भी हो सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कार्डियक अरेस्ट के लक्षण</strong><br />1.कार्डिएक अरेस्ट में बिल्कुल भी लक्षण नहीं दिखाई देता है, ये हमेशा अचानक से ही आता है.<br />2. मरीज जब भी गिरता है तो कार्डिएक अरेस्ट की वजह से ही गिरता है, इसे पहचानने के कई तरीके हैं.<br />3. जब भी मरीज गिरता है, तब उसकी पीठ और कंधों को थपथपाने के बाद कोई रिएक्शन नहीं मिलता है.<br />4. मरीज की दिल की धड़कन अचानक से काफी तेज हो जाता है और वह नॉर्मल सांस नहीं ले पाता है. <br />5. पल्स और ब्लड प्रेशर रूक जाता है.<br />6. ऐसी स्थिति में दिमाग और शरीर के बाकी हिस्सों में खून नहीं पहुंच पाता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें: <a title="दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च" href="https://ift.tt/nsOEadj" target="_blank" rel="noopener">दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च</a></strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कार्डिएक अरेस्ट या हार्ट अटैक कौन ज्यादा खतरनाक</strong><br />अगर दोनों में से ज्यादा खतरनाक की बात की जाए तो वह कार्डिएक अरेस्ट है. क्योंकि इसमें किसी तरह का लक्षण दिखाई नहीं देता है. जबकि हार्ट अटैक का संकेत 48 से लेकर 24 घंटे पहले ही मिलने लगता है. हार्ट अटैक में मरीज को संभलने और जान बचाने का मौका मिलता है. जबकि कार्डिएक अरेस्ट में कोई मौका नहीं मिलता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें : </strong><a href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/health-tips-astronaut-sunita-williams-weight-continuously-decreasing-in-space-know-how-dangerous-it-is-2837508/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp"><strong>स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक</strong></a></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कार्डिएक अरेस्ट से बचने इन बातों का रखें ख्याल</strong><br />1. रोजाना एक घंटे फिजिकल एक्टिविटीज करें और वजन न बढ़ने दें.<br />2. कार्डियो एक्सरसाज करें, जैसे- साइकिलिंग, जॉगिंग या क्रिकेट, बैडमिंटन और फुटबालॅ खेलें.</p>
<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें : <a title="नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे" href="https://ift.tt/AkpTivE" target="_blank" rel="noopener">नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे</a></strong></p>
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Myths Vs Facts: हार्ट फेल होने पर दिल धड़कना बंद कर देता है? आइए जानें क्या है पूर सच

आजकल खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण दिल से जुड़ी गंभीर बीमारी के केसेस काफी ज्यादा संख्या में सामने आ रहे हैं. आज हम इस बारे में विस्तार से बात करेंगे कि हार्ट फेल होने पर दिल धड़कना पूरी तरह से बंद हो जाता है? दरअसल, अक्सर लोग कार्डियक अरेस्ट और हार्ट फेलियर दोनों को लेकर कनफ्यूज रहते हैं.

Myths Vs Facts: हार्ट फेलियर और कार्डियक अरेस्ट होने पर क्या होता है?

जब भी किसी व्यक्ति का हार्ट फेलियर होता है तो उसमें दिल काम करता रहता है लेकिन हार्ट ब्लड को ठीक से पंप नहीं कर पाता है जितना उसे करना चाहिए. ऐसी स्थिति में उसे सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, पैरों औट टखनों में सूजन, लगातार खांसी और घरघराहट शुरू हो जाती है. वहीं कार्डियक अरेस्ट के दौरान दिल अचानक से धड़कना ही बंद हो जाता है जिसके कारण व्यक्ति कुछ बोल भी नहीं पाता और सांस लेना बंद कर देता है. 

हार्ट फेलियर का मतलब यह नहीं है कि दिल ने धड़कना बंद कर दिया है. हार्ट फेलियर एक गंभीर स्थिति है जो तब होती है जब हृदय शरीर के दूसरे अंगों तक पर्याप्त खून और ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाती है. हृदय काम करना जारी रखता है, लेकिन यह उतना प्रभावी नहीं होता. अचानक कार्डियक अरेस्ट (SCA) एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है. जब ऐसा होता है, तो मस्तिष्क और दूसरे अंगों में ब्लड का फ्लो रुक जाता है. यदि इसका इलाज समय रहते नहीं किया जाता है, तो SCA आमतौर पर कुछ ही मिनटों में मृत्यु का कारण बनता है. लेकिन डिफिब्रिलेटर के साथ तुरंत इलाज जिंदगी बचा सकती है. 

कार्डिए अरेस्ट और हार्ट अटैक में काफी अंतर होता है. जब हार्ट में खून नहीं पहुंचता तब हार्ट अटैक आता है लेकिन कार्डिएक अरेस्ट में हार्ट अचानक से ही काम करना बंद कर देता है.
2. जब आर्टिरीज में ब्लड फ्लो रुक जाता है या खत्म हो जाता है, तब ऑक्सीजन की कमी से हार्ट का वह भाग डेड होने लगता है. वहीं, दूसरी तरफ कार्डिएक अरेस्ट में दिल अचानक से धड़कना बंद कर देता है. ऐसा होने पर कुछ भी हो सकता है.

कार्डियक अरेस्ट के लक्षण
1.कार्डिएक अरेस्ट में बिल्कुल भी लक्षण नहीं दिखाई देता है, ये हमेशा अचानक से ही आता है.
2. मरीज जब भी गिरता है तो कार्डिएक अरेस्ट की वजह से ही गिरता है, इसे पहचानने के कई तरीके हैं.
3. जब भी मरीज गिरता है, तब उसकी पीठ और कंधों को थपथपाने के बाद कोई रिएक्शन नहीं मिलता है.
4. मरीज की दिल की धड़कन अचानक से काफी तेज हो जाता है और वह नॉर्मल सांस नहीं ले पाता है. 
5. पल्स और ब्लड प्रेशर रूक जाता है.
6. ऐसी स्थिति में दिमाग और शरीर के बाकी हिस्सों में खून नहीं पहुंच पाता है.

यह भी पढ़ें: दोस्त हो आसपास तो दूर होगा हर गम, यारी आपसे दूर करेगी हर बीमारी, जानें क्या कहती है रिसर्च

कार्डिएक अरेस्ट या हार्ट अटैक कौन ज्यादा खतरनाक
अगर दोनों में से ज्यादा खतरनाक की बात की जाए तो वह कार्डिएक अरेस्ट है. क्योंकि इसमें किसी तरह का लक्षण दिखाई नहीं देता है. जबकि हार्ट अटैक का संकेत 48 से लेकर 24 घंटे पहले ही मिलने लगता है. हार्ट अटैक में मरीज को संभलने और जान बचाने का मौका मिलता है. जबकि कार्डिएक अरेस्ट में कोई मौका नहीं मिलता है.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

कार्डिएक अरेस्ट से बचने इन बातों का रखें ख्याल
1. रोजाना एक घंटे फिजिकल एक्टिविटीज करें और वजन न बढ़ने दें.
2. कार्डियो एक्सरसाज करें, जैसे- साइकिलिंग, जॉगिंग या क्रिकेट, बैडमिंटन और फुटबालॅ खेलें.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें : नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे

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चाय नुकसानदायक नहीं बल्कि सेहत के लिए है फायदेमंद, US FDA ने दिया इंडियंस के फेवरेट ड्रिंक को ग्रीन सिग्नल, बताया हेल्दी
 <p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>Benefits of Drinking Tea:</strong> ज़्यादातर इंडियंस सुबह की शुरूआत चाय के साथ करते हैं. या यूं कहें तो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चाय पीना लोग बेहद पसंद करते हैं. कुछ लोग अदरक तो कुछ इलायची और लौंग की चाय पीना पसंद करते हैं. लेकिन, चाय को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की गलतफहमियां हैं जो ये सवाल उठाती हैं कि क्या चाय सेहत को नुकसान पहुंचाती है.</p>
<p dir="ltr" style="text-align: justify;">कई लोग कहते हैं कि चाय पीना जहर के समान होता है, तो कुछ लोग मानते हैं कि रोजाना चाय पीने से सेहत को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. इस बीच हाल ही में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने चाय को हरी झंडी देकर उसे सेहत के लिए हेल्दी बताया है. </p>
<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>चाय को बताया हेल्दी ड्रिंक</strong></p>
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<p dir="ltr">नॉर्थ ईस्टर्न टी एसोसिएशन (NETA) और इंडियन टी एसोसिएशन (ITA) ने यूएस FDA ने कैमेलिया साइनेंसिस से बनने वाली चाय को हेल्दी बताया है. चाय के न्यूट्रिएंट कंटेट को लेकर भी FDA ने एक अपडेट जारी किया है. दरअसल फडा ने चाय को हेल्दी ड्रिंक के तौर पर मान्यता दी है. ताकि, लोगों में इसे लेकर भ्रामक दावों को समझा जा सके. इसके बाद से कैमेलिया साइनेंसिस से बनी चाय अब हेल्दी डेजिगनेशन के दायरे में आ चुकी है. ये उन लोगों के लिए बहुत अच्छी खबर है, जो चाय पीने के शौकीन हैं. अब बिना किसी डर के लोग चाय पी सकते हैं.</p>
<p dir="ltr"><strong>यह भी पढ़ें : </strong><a href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/health-tips-astronaut-sunita-williams-weight-continuously-decreasing-in-space-know-how-dangerous-it-is-2837508/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp"><strong>स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक</strong></a></p>
<p dir="ltr"><strong>कब नहीं पीनी चाहिए चाय</strong></p>
<p dir="ltr">हमारे देश में ज्यादातर लोग बे़ड पर ही चाय पीना पसंद करते हैं. उन्हें सुबह उठने के साथ ही गरमा-गरम बेड टी चाहिए होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुबह उठने बाद खाली पेट चाय पीना नुकसानदायक हो सकता है. इसकी वजह से एसिडिटी परेशान कर सकती है. इतना ही नहीं खाली पेट चाय पीने से ब्लड शुगर लेवल काफी ज्यादा बढ़ सकती है. कुछ लोग रात में भी चाय पीते हैं, ये भी गलत टाइम माना जाता है, क्योंकि इससे नींद में खलल पड़ सकती है.</p>
<p dir="ltr"><strong>चाय पीने के क्या-क्या फायदे हैं</strong></p>
<p dir="ltr">एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर सोने से करीब 10 घंटे पहले चाय पिया जाए तो इससे अच्छी नींद आती है. चाय से शरीर के अंदर सूजन की समस्या कम होती है. चाय कॉर्टिसोल हार्मोन को भी कम करने में मदद करती है. इससे नेगेटिविटी और उदासी भी कम होती है. कबज्य और स्ट्रेस की समस्या भी चाय पीने से दूर हो सकती है. हालांकि, चाय की लत नहीं लगने देना चाहिए. ज्यादा चाय पीना हानिकारक हो सकता है. इससे एसिडिटी, डाइजेशन और नींद की समस्या हो सकती है.</p>
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<p dir="ltr"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
<p dir="ltr"><strong>यह भी पढ़ें : <a title="नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे" href="https://ift.tt/pTVrYlU" target="_blank" rel="noopener">नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे</a></strong></p>
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चाय नुकसानदायक नहीं बल्कि सेहत के लिए है फायदेमंद, US FDA ने दिया इंडियंस के फेवरेट ड्रिंक को ग्रीन सिग्नल, बताया हेल्दी

Benefits of Drinking Tea: ज़्यादातर इंडियंस सुबह की शुरूआत चाय के साथ करते हैं. या यूं कहें तो सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी चाय पीना लोग बेहद पसंद करते हैं. कुछ लोग अदरक तो कुछ इलायची और लौंग की चाय पीना पसंद करते हैं. लेकिन, चाय को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह की गलतफहमियां हैं जो ये सवाल उठाती हैं कि क्या चाय सेहत को नुकसान पहुंचाती है.

कई लोग कहते हैं कि चाय पीना जहर के समान होता है, तो कुछ लोग मानते हैं कि रोजाना चाय पीने से सेहत को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है. इस बीच हाल ही में यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने चाय को हरी झंडी देकर उसे सेहत के लिए हेल्दी बताया है. 

चाय को बताया हेल्दी ड्रिंक

नॉर्थ ईस्टर्न टी एसोसिएशन (NETA) और इंडियन टी एसोसिएशन (ITA) ने यूएस FDA ने कैमेलिया साइनेंसिस से बनने वाली चाय को हेल्दी बताया है. चाय के न्यूट्रिएंट कंटेट को लेकर भी FDA ने एक अपडेट जारी किया है. दरअसल फडा ने चाय को हेल्दी ड्रिंक के तौर पर मान्यता दी है. ताकि, लोगों में इसे लेकर भ्रामक दावों को समझा जा सके. इसके बाद से कैमेलिया साइनेंसिस से बनी चाय अब हेल्दी डेजिगनेशन के दायरे में आ चुकी है. ये उन लोगों के लिए बहुत अच्छी खबर है, जो चाय पीने के शौकीन हैं. अब बिना किसी डर के लोग चाय पी सकते हैं.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

कब नहीं पीनी चाहिए चाय

हमारे देश में ज्यादातर लोग बे़ड पर ही चाय पीना पसंद करते हैं. उन्हें सुबह उठने के साथ ही गरमा-गरम बेड टी चाहिए होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुबह उठने बाद खाली पेट चाय पीना नुकसानदायक हो सकता है. इसकी वजह से एसिडिटी परेशान कर सकती है. इतना ही नहीं खाली पेट चाय पीने से ब्लड शुगर लेवल काफी ज्यादा बढ़ सकती है. कुछ लोग रात में भी चाय पीते हैं, ये भी गलत टाइम माना जाता है, क्योंकि इससे नींद में खलल पड़ सकती है.

चाय पीने के क्या-क्या फायदे हैं

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर सोने से करीब 10 घंटे पहले चाय पिया जाए तो इससे अच्छी नींद आती है. चाय से शरीर के अंदर सूजन की समस्या कम होती है. चाय कॉर्टिसोल हार्मोन को भी कम करने में मदद करती है. इससे नेगेटिविटी और उदासी भी कम होती है. कबज्य और स्ट्रेस की समस्या भी चाय पीने से दूर हो सकती है. हालांकि, चाय की लत नहीं लगने देना चाहिए. ज्यादा चाय पीना हानिकारक हो सकता है. इससे एसिडिटी, डाइजेशन और नींद की समस्या हो सकती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें : नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे

 

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<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>Benefits of Drinking Tea:</strong&…

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कहीं आप भी तो बेड पर बैठकर नहीं खा रहे खाना, अगर हां तो पहले जान लें नुकसान
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<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>Eating Food on Bed Side Effects</strong> : पहले ज्यादातर लोग जमीन पर बैठकर ही खाना खाया करते थे लेकिन आजकल समय बदल गया है और अब कई लोग बिस्तर पर ही खाना खा लेते हैं. घर के बड़े-बुजुर्ग ऐसा करने से मना करते हैं. साइंस भी उनकी इस बात को मानता है, क्योंकि बेड पर बैठकर  खाना सिर्फ अशुभ ही नहीं बल्कि सेहत के लिए नुकसानदायक भी है. ऐसा करने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है और बीमारियां बेडरूम तक पहुंच सकती हैं. आइए जानते हैं इसका कारण और क्या करना चाहिए...</p>
<p dir="ltr" style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें : </strong><a href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/health-tips-astronaut-sunita-williams-weight-continuously-decreasing-in-space-know-how-dangerous-it-is-2837508/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp"><strong>स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक</strong></a></p>
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<p dir="ltr"><strong>बेड पर बैठकर क्यों नहीं खाना चाहिए</strong></p>
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<p dir="ltr"><strong>1. पाचन होगा खराब</strong></p>
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<p dir="ltr">हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बेड पर बैठकर खाते समय हम काफी ज्यादा रिलैक्स रहते हैं. इससे पाचन रस का नेचुरल फ्लो प्रभाववित होता है. इसकी वजह से पाचन तंत्र खराब होता है.सूजन और एसिड रिफ्लक्स होता है. इसलिए खाना बिस्तर पर नहीं खाना चाहिए.</p>
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<p dir="ltr"><strong>2. एलर्जी का खतरा</strong></p>
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<p dir="ltr">बेड पर बैठकर खाने से जाने-अनजाने में कई छोटे टुकड़े बेड या चादर में अंदर चले जाते हैं, जो फंगस इंफेक्शन और संक्रमण की वजह बन सकते हैं. इसकी वजह से एलर्जी (Allergies), सांस से जुड़ी समस्याएं और संक्रमण का खतरा बढ़ता है.</p>
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<p dir="ltr"><strong>3. वजन बढ़ सकता है</strong></p>
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<p dir="ltr">बेड पर बैठकर खाते समय ज्यादातर लोगों की आदत है कि वे टीवी या मोबाइल देखते हैं. इससे ध्यान खाना से हटकर स्क्रीन पर चला जाता है. खाने का अंदाजा नहीं लग पाता है और ओवरईटिंग होने लगती है. इससे वजन बढ़ सकता है. </p>
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<p dir="ltr"><strong>4. नींद खराब हो सकती है</strong></p>
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<p dir="ltr">बेड पर खाने से नींद प्रभावित हो सकती है. इससे नींद का साइकिल बिगड़ता है. बेड पर खाने से दिमाग कंफ्यूज हो सकता है. इससे सोने में परेशानी हो सकती है. बिस्तर साफ न रहने से अच्छी तरह नींद नहीं आती है. </p>
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<p dir="ltr"><strong>5. इंफेक्शन का रिस्क</strong></p>
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<p dir="ltr">बेड पर बैठकर खाने से भोजन के कण बिस्तर पर चले जाते हैं. इसकी वजह से कीटाणु पनप सकते हैं. इसकी वजह से बेड पर क्रॉकरोच और चींटियां आ सकती हैं. इससे कई तरह के इंफेक्शन (Infection) हो सकते हैं.</p>
<p dir="ltr"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
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कहीं आप भी तो बेड पर बैठकर नहीं खा रहे खाना, अगर हां तो पहले जान लें नुकसान

Eating Food on Bed Side Effects : पहले ज्यादातर लोग जमीन पर बैठकर ही खाना खाया करते थे लेकिन आजकल समय बदल गया है और अब कई लोग बिस्तर पर ही खाना खा लेते हैं. घर के बड़े-बुजुर्ग ऐसा करने से मना करते हैं. साइंस भी उनकी इस बात को मानता है, क्योंकि बेड पर बैठकर  खाना सिर्फ अशुभ ही नहीं बल्कि सेहत के लिए नुकसानदायक भी है. ऐसा करने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है और बीमारियां बेडरूम तक पहुंच सकती हैं. आइए जानते हैं इसका कारण और क्या करना चाहिए...

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

बेड पर बैठकर क्यों नहीं खाना चाहिए

1. पाचन होगा खराब

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बेड पर बैठकर खाते समय हम काफी ज्यादा रिलैक्स रहते हैं. इससे पाचन रस का नेचुरल फ्लो प्रभाववित होता है. इसकी वजह से पाचन तंत्र खराब होता है.सूजन और एसिड रिफ्लक्स होता है. इसलिए खाना बिस्तर पर नहीं खाना चाहिए.

2. एलर्जी का खतरा

बेड पर बैठकर खाने से जाने-अनजाने में कई छोटे टुकड़े बेड या चादर में अंदर चले जाते हैं, जो फंगस इंफेक्शन और संक्रमण की वजह बन सकते हैं. इसकी वजह से एलर्जी (Allergies), सांस से जुड़ी समस्याएं और संक्रमण का खतरा बढ़ता है.

3. वजन बढ़ सकता है

बेड पर बैठकर खाते समय ज्यादातर लोगों की आदत है कि वे टीवी या मोबाइल देखते हैं. इससे ध्यान खाना से हटकर स्क्रीन पर चला जाता है. खाने का अंदाजा नहीं लग पाता है और ओवरईटिंग होने लगती है. इससे वजन बढ़ सकता है. 

4. नींद खराब हो सकती है

बेड पर खाने से नींद प्रभावित हो सकती है. इससे नींद का साइकिल बिगड़ता है. बेड पर खाने से दिमाग कंफ्यूज हो सकता है. इससे सोने में परेशानी हो सकती है. बिस्तर साफ न रहने से अच्छी तरह नींद नहीं आती है. 

5. इंफेक्शन का रिस्क

बेड पर बैठकर खाने से भोजन के कण बिस्तर पर चले जाते हैं. इसकी वजह से कीटाणु पनप सकते हैं. इसकी वजह से बेड पर क्रॉकरोच और चींटियां आ सकती हैं. इससे कई तरह के इंफेक्शन (Infection) हो सकते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें : नींद के लिए खा रहे हैं गोलियां, तुरंत छोड़ दें वरना किडनी-लिवर से हाथ धो बैठेंगे

 

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क्रोनिक दर्द के कारण नींद की समस्या से जूझ रहे हैं तो यह तरीका अपनाएं, एक सप्ताह में दिखेगा फायदा
 <p>क्रोनिक दर्द होने पर रात में अच्छी नींद लेना अक्सर मुश्किल होता है. दर्द आपको सोने या शांतिपूर्ण नींद लेने से रोक सकता है. हालांकि, क्रोनिक दर्द को प्रबंधित करने और कम करने में नींद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. नींद और दर्द के बीच संबंध को समझने से आपको शारीरिक और भावनात्मक रूप से बेहतर महसूस करने में मदद मिल सकती है.</p>
<p><strong>क्रोनिक दर्द के लिए नींद क्यों ज़रूरी है?</strong><br />नींद सिर्फ़ आराम करने के लिए नहीं है, बल्कि शरीर को अपने ऊतकों की मरम्मत करने, ऊतकों को पुनर्जीवित करने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने में भी मदद करती है. क्रोनिक दर्द के रोगियों में, खराब नींद का नकारात्मक प्रभाव असुविधा को बढ़ाता है और इस तरह एक दुष्चक्र बन जाता है. जब भी आप सामान्य से ज़्यादा नींद खो देते हैं, तो आप दर्द के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे आपको सोने में काफ़ी मुश्किल होती है.</p>
<p>अध्ययनों से पता चला है कि नींद की बीमारी का रोगी दर्द के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होता है. नींद की कमी से मस्तिष्क दर्द को संसाधित करने और संचारित करने में विफल हो जाता है, जिससे इसकी तीव्रता बढ़ जाती है. नींद और दर्द के बीच का संबंध अच्छी तरह से प्रलेखित है. खराब नींद कोर्टिसोल को बढ़ाती है, जो एक तनाव हार्मोन है जो सूजन में योगदान देता है जो क्रोनिक दर्द के मुख्य कारणों में से एक है. जब आप अच्छी नींद लेते हैं, तो आपका शरीर कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे सूजन कम होती है और परिणामस्वरूप दर्द होता है.</p>
<p>इसके अलावा, नींद शरीर की दर्द सीमा को प्रभावित करती है। नींद जितनी अच्छी होगी, दर्द के प्रति सहनशीलता उतनी ही अधिक होगी; नींद जितनी कम होगी, संवेदनशीलता उतनी ही अधिक होगी। दूसरे शब्दों में, नींद शरीर को असुविधा से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाती है.</p>
<p><strong>नींद और दर्द</strong><br />क्रोनिक दर्द अक्सर नींद में खलल डालता है, और खराब नींद दर्द को और खराब कर सकती है - एक चक्र बनाती है. दर्द मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा डालता है, जिससे सोना मुश्किल हो जाता है. असुविधा आपको रात भर जगाए रख सकती है, जिससे आरामदेह नींद नहीं आती.</p>
<p>यह चक्र आपको थका हुआ, चिड़चिड़ा और दर्द को संभालने में कम सक्षम महसूस कराता है. खराब नींद मूड, फोकस और ऊर्जा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, जिससे क्रोनिक दर्द से निपटना मुश्किल हो जाता है। अच्छी खबर यह है कि इस चक्र को तोड़ने और नींद और दर्द प्रबंधन दोनों को बेहतर बनाने के लिए कई रणनीतियां हैं.</p>
<p><strong>क्रोनिक दर्द के साथ बेहतर नींद के लिए सुझाव</strong></p>
<p>क्रोनिक दर्द के साथ नींद में सुधार रातोंरात नहीं हो सकता है, लेकिन छोटे बदलाव बहुत फर्क ला सकते हैं. यहां कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं.</p>
<p><strong>यह भी पढ़ें : </strong><a href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/health-tips-astronaut-sunita-williams-weight-continuously-decreasing-in-space-know-how-dangerous-it-is-2837508/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp"><strong>स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक</strong></a></p>
<p>एक अच्छी नींद की दिनचर्या बनाएं.  हर दिन एक ही समय पर सोएं और उठें, यहाँ तक कि सप्ताहांत पर भी. नियमितता आपके शरीर की आंतरिक घड़ी को विनियमित करने में मदद करती है, जिससे दर्द के बावजूद सोना आसान हो जाता है.</p>
<p>आरामदायक नींद का माहौल रखें. सुनिश्चित करें कि आपका बेडरूम शांत, अंधेरा और ठंडा हो.</p>
<p>यदि आप पुराने दर्द और नींद संबंधी विकारों से पीड़ित हैं, तो एक पेशेवर आपको एक उचित योजना लागू करने के लिए मार्गदर्शन कर सकता है जो दोनों को सुधारने में मदद कर सकता है. बेहतर नींद बेहतर महसूस करने की दिशा में पहला कदम है.</p>
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<p dir="ltr"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
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<p dir="ltr"><strong>ये भी पढ़ें: </strong><a href="https://ift.tt/VHF1zne Oven Day 2024 : क्या वाकई माइक्रोवेव बना सकता है बीमार, जानें</strong></a></p>
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 Myths Vs Facts: क्या ज्यादा चीनी खाने से हो सकती है डायबिटीज, जानें क्या है पूरा सच?

क्रोनिक दर्द के कारण नींद की समस्या से जूझ रहे हैं तो यह तरीका अपनाएं, एक सप्ताह में दिखेगा फायदा

क्रोनिक दर्द होने पर रात में अच्छी नींद लेना अक्सर मुश्किल होता है. दर्द आपको सोने या शांतिपूर्ण नींद लेने से रोक सकता है. हालांकि, क्रोनिक दर्द को प्रबंधित करने और कम करने में नींद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. नींद और दर्द के बीच संबंध को समझने से आपको शारीरिक और भावनात्मक रूप से बेहतर महसूस करने में मदद मिल सकती है.

क्रोनिक दर्द के लिए नींद क्यों ज़रूरी है?
नींद सिर्फ़ आराम करने के लिए नहीं है, बल्कि शरीर को अपने ऊतकों की मरम्मत करने, ऊतकों को पुनर्जीवित करने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मज़बूत करने में भी मदद करती है. क्रोनिक दर्द के रोगियों में, खराब नींद का नकारात्मक प्रभाव असुविधा को बढ़ाता है और इस तरह एक दुष्चक्र बन जाता है. जब भी आप सामान्य से ज़्यादा नींद खो देते हैं, तो आप दर्द के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हो जाते हैं, जिससे आपको सोने में काफ़ी मुश्किल होती है.

अध्ययनों से पता चला है कि नींद की बीमारी का रोगी दर्द के प्रति ज़्यादा संवेदनशील होता है. नींद की कमी से मस्तिष्क दर्द को संसाधित करने और संचारित करने में विफल हो जाता है, जिससे इसकी तीव्रता बढ़ जाती है. नींद और दर्द के बीच का संबंध अच्छी तरह से प्रलेखित है. खराब नींद कोर्टिसोल को बढ़ाती है, जो एक तनाव हार्मोन है जो सूजन में योगदान देता है जो क्रोनिक दर्द के मुख्य कारणों में से एक है. जब आप अच्छी नींद लेते हैं, तो आपका शरीर कोर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करता है, जिससे सूजन कम होती है और परिणामस्वरूप दर्द होता है.

इसके अलावा, नींद शरीर की दर्द सीमा को प्रभावित करती है। नींद जितनी अच्छी होगी, दर्द के प्रति सहनशीलता उतनी ही अधिक होगी; नींद जितनी कम होगी, संवेदनशीलता उतनी ही अधिक होगी। दूसरे शब्दों में, नींद शरीर को असुविधा से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम बनाती है.

नींद और दर्द
क्रोनिक दर्द अक्सर नींद में खलल डालता है, और खराब नींद दर्द को और खराब कर सकती है - एक चक्र बनाती है. दर्द मेलाटोनिन के उत्पादन में बाधा डालता है, जिससे सोना मुश्किल हो जाता है. असुविधा आपको रात भर जगाए रख सकती है, जिससे आरामदेह नींद नहीं आती.

यह चक्र आपको थका हुआ, चिड़चिड़ा और दर्द को संभालने में कम सक्षम महसूस कराता है. खराब नींद मूड, फोकस और ऊर्जा को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, जिससे क्रोनिक दर्द से निपटना मुश्किल हो जाता है। अच्छी खबर यह है कि इस चक्र को तोड़ने और नींद और दर्द प्रबंधन दोनों को बेहतर बनाने के लिए कई रणनीतियां हैं.

क्रोनिक दर्द के साथ बेहतर नींद के लिए सुझाव

क्रोनिक दर्द के साथ नींद में सुधार रातोंरात नहीं हो सकता है, लेकिन छोटे बदलाव बहुत फर्क ला सकते हैं. यहां कुछ व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

एक अच्छी नींद की दिनचर्या बनाएं.  हर दिन एक ही समय पर सोएं और उठें, यहाँ तक कि सप्ताहांत पर भी. नियमितता आपके शरीर की आंतरिक घड़ी को विनियमित करने में मदद करती है, जिससे दर्द के बावजूद सोना आसान हो जाता है.

आरामदायक नींद का माहौल रखें. सुनिश्चित करें कि आपका बेडरूम शांत, अंधेरा और ठंडा हो.

यदि आप पुराने दर्द और नींद संबंधी विकारों से पीड़ित हैं, तो एक पेशेवर आपको एक उचित योजना लागू करने के लिए मार्गदर्शन कर सकता है जो दोनों को सुधारने में मदद कर सकता है. बेहतर नींद बेहतर महसूस करने की दिशा में पहला कदम है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

एक अच्छी नींद की दिनचर्या बनाएं.  हर दिन एक ही समय पर सोएं और उठें, यहाँ तक कि सप्ताहांत पर भी. नियमितता आपके शरीर की आंतरिक घड़ी को विनियमित करने में मदद करती है, जिससे दर्द के बावजूद सोना आसान हो जाता है.

आरामदायक नींद का माहौल रखें. सुनिश्चित करें कि आपका बेडरूम शांत, अंधेरा और ठंडा हो.

यदि आप पुराने दर्द और नींद संबंधी विकारों से पीड़ित हैं, तो एक पेशेवर आपको एक उचित योजना लागू करने के लिए मार्गदर्शन कर सकता है जो दोनों को सुधारने में मदद कर सकता है. बेहतर नींद बेहतर महसूस करने की दिशा में पहला कदम है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: नई दिल्‍ली स्थित 'ऑल इंडिया मेडिकल साइंसेज' (AIIMS)  में इलाज करा रहे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन हो गया है. मनमोहन सिंह कई सारी बीमारियों से जूझ रहे थें. साल 2009 में उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी. रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री के दिल में कई ब्लॉकेज का पता चला था. मनमोहन सिंह का दिल से जुड़ी बीमारियों का इतिहास रहा है. 1990 में भी उनकी बाईपास सर्जरी हुई थी और 2003 में स्टेंट प्रत्यारोपण के लिए एंजियोप्लास्टी हुई थी.

मनमोहन सिंह की इतनी बार हुई थी बायपास सर्जरी

बाईपास सर्जरी दिल  की कोरोनरी धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने की प्रकिया है. इसे कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ़्टिंग (CABG) या हार्ट बाईपास सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है. इस सर्जरी में मरीज़ के शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्वस्थ रक्त वाहिका का एक टुकड़ा लिया जाता है और उसे अवरुद्ध धमनी के ऊपर और नीचे जोड़ा जाता है. इससे रक्त और ऑक्सीजन हृदय तक पहुंच पाते हैं. 

जानें किसी खतरनाक है बायपास सर्जरी?

जब हार्ट में ब्लॉकेज की वजह से ब्लड फ्लो सही तरह नहीं हो पाता है तब बायपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है. जिससे काफी फायदा मिल सकता है. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि बायपास सर्जरी के बाद नॉर्मल लाइफ नहीं जिया जा सकता है. जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स...

डॉक्टरों का कहना है कि आजकल हार्ट बायपास सर्जरी हर उम्र के लिए आम हो गई है. गलत खानपान, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर की वजह से युवा भी हार्ट डिजीज के हाई रिस्क पर हैं. इसलिए ऐसा कहना है कि सिर्फ उम्रदराज लोगों को ही हार्ट की बायपास सर्जरी करवानी पड़ती है, पूरी तरह गलत है.

डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट बायपास सर्जरी से हार्ट अटैक जैसी दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है लेकिन उन्हें पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है. इसलिए सर्जरी के बाद भी सावधानी रखनी पड़ती है और खानपान का खास ख्याल रखना पड़ता है. वरना कभी भी हार्ट डिजीज बढ़ सकती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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मनमोहन सिंह की इतनी बार हुई थी बायपास सर्जरी

बाईपास सर्जरी दिल  की कोरोनरी धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने की प्रकिया है. इसे कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ़्टिंग (CABG) या हार्ट बाईपास सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है. इस सर्जरी में मरीज़ के शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्वस्थ रक्त वाहिका का एक टुकड़ा लिया जाता है और उसे अवरुद्ध धमनी के ऊपर और नीचे जोड़ा जाता है. इससे रक्त और ऑक्सीजन हृदय तक पहुंच पाते हैं. 

जानें किसी खतरनाक है बायपास सर्जरी?

जब हार्ट में ब्लॉकेज की वजह से ब्लड फ्लो सही तरह नहीं हो पाता है तब बायपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है. जिससे काफी फायदा मिल सकता है. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि बायपास सर्जरी के बाद नॉर्मल लाइफ नहीं जिया जा सकता है. जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स...

डॉक्टरों का कहना है कि आजकल हार्ट बायपास सर्जरी हर उम्र के लिए आम हो गई है. गलत खानपान, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर की वजह से युवा भी हार्ट डिजीज के हाई रिस्क पर हैं. इसलिए ऐसा कहना है कि सिर्फ उम्रदराज लोगों को ही हार्ट की बायपास सर्जरी करवानी पड़ती है, पूरी तरह गलत है.

डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट बायपास सर्जरी से हार्ट अटैक जैसी दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है लेकिन उन्हें पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है. इसलिए सर्जरी के बाद भी सावधानी रखनी पड़ती है और खानपान का खास ख्याल रखना पड़ता है. वरना कभी भी हार्ट डिजीज बढ़ सकती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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मनमोहन सिंह की इतनी बार हुई थी बायपास सर्जरी

बाईपास सर्जरी दिल  की कोरोनरी धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने की प्रकिया है. इसे कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ़्टिंग (CABG) या हार्ट बाईपास सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है. इस सर्जरी में मरीज़ के शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्वस्थ रक्त वाहिका का एक टुकड़ा लिया जाता है और उसे अवरुद्ध धमनी के ऊपर और नीचे जोड़ा जाता है. इससे रक्त और ऑक्सीजन हृदय तक पहुंच पाते हैं. 

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जब हार्ट में ब्लॉकेज की वजह से ब्लड फ्लो सही तरह नहीं हो पाता है तब बायपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है. जिससे काफी फायदा मिल सकता है. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि बायपास सर्जरी के बाद नॉर्मल लाइफ नहीं जिया जा सकता है. जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स...

डॉक्टरों का कहना है कि आजकल हार्ट बायपास सर्जरी हर उम्र के लिए आम हो गई है. गलत खानपान, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर की वजह से युवा भी हार्ट डिजीज के हाई रिस्क पर हैं. इसलिए ऐसा कहना है कि सिर्फ उम्रदराज लोगों को ही हार्ट की बायपास सर्जरी करवानी पड़ती है, पूरी तरह गलत है.

डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट बायपास सर्जरी से हार्ट अटैक जैसी दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है लेकिन उन्हें पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है. इसलिए सर्जरी के बाद भी सावधानी रखनी पड़ती है और खानपान का खास ख्याल रखना पड़ता है. वरना कभी भी हार्ट डिजीज बढ़ सकती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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मनमोहन सिंह की इतनी बार हुई थी बायपास सर्जरी

बाईपास सर्जरी दिल  की कोरोनरी धमनियों में ब्लड सर्कुलेशन को ठीक करने की प्रकिया है. इसे कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ़्टिंग (CABG) या हार्ट बाईपास सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है. इस सर्जरी में मरीज़ के शरीर के किसी दूसरे हिस्से से स्वस्थ रक्त वाहिका का एक टुकड़ा लिया जाता है और उसे अवरुद्ध धमनी के ऊपर और नीचे जोड़ा जाता है. इससे रक्त और ऑक्सीजन हृदय तक पहुंच पाते हैं. 

जानें किसी खतरनाक है बायपास सर्जरी?

जब हार्ट में ब्लॉकेज की वजह से ब्लड फ्लो सही तरह नहीं हो पाता है तब बायपास सर्जरी की जरूरत पड़ती है. जिससे काफी फायदा मिल सकता है. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि बायपास सर्जरी के बाद नॉर्मल लाइफ नहीं जिया जा सकता है. जानिए क्या कहते हैं डॉक्टर्स...

डॉक्टरों का कहना है कि आजकल हार्ट बायपास सर्जरी हर उम्र के लिए आम हो गई है. गलत खानपान, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर की वजह से युवा भी हार्ट डिजीज के हाई रिस्क पर हैं. इसलिए ऐसा कहना है कि सिर्फ उम्रदराज लोगों को ही हार्ट की बायपास सर्जरी करवानी पड़ती है, पूरी तरह गलत है.

डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट बायपास सर्जरी से हार्ट अटैक जैसी दिल की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है लेकिन उन्हें पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता है. इसलिए सर्जरी के बाद भी सावधानी रखनी पड़ती है और खानपान का खास ख्याल रखना पड़ता है. वरना कभी भी हार्ट डिजीज बढ़ सकती है.

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Sleeping Pills Side Effects : क्या आपको भी रात-रात नींद नहीं आती है, क्या आप भी नींद की गोलियां खा रहे हैं. अगर हां तो सावधान हो जाइए, वरना आपकी किडनी और लिवर दोनों डैमेज हो सकती हैं. अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के एक तिहाई वयस्क नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं. जिसकी वजह से ज्यादातर लोगों को स्लीपिंग पिल्स (Sleeping Pills) लेने पड़ रहे हैं. इन दवाओं के कई साइड इफेक्ट्स हैं. ऐसे में बिना डॉक्टर्स की सलाह पर इन्हें लेने से बचना चाहिए. आइए जानते हैं नींद की गोलियों के क्या-क्या खतरे हैं...

नींद की गोलियां कितनी सेफ 

स्लीपिंग पिल्स नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए मददगार होती हैं. ये दवाईयां डॉक्टर्स नींद न आने की गंभीर समस्याएं होने पर देते हैं. स्लीपिंग पिल्स दिमाग के केमिकल्स पर अपना प्रभाव डालते हैं. उन केमिकल्स को कंट्रोल कर शांत करनते हैं, जिसके बाद नींद में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आती हैं. ज्यादा सीरियस प्रॉब्लम होने पर अगर डॉक्टर एक तय मात्रा में इसकी सलाह देते हैं तो यह सेफ हो सकता है लेकिन अगर इसे नॉर्मल प्रॉब्लम्स में भी ले रहे हैं तो इसका असर हेल्थ पड़ना तय है. इसलिए इसे लेने से बचना चाहिए.

स्लीपिंग पिल्स के प्रकार

1.बेंजोडायजेपाइन- ये गोलियां तुरंत असर दिखाती हैं और जल्दी नींद लाती हैं. लंबे समय तक इनका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है.

2.नॉन बेंजोडायजेपाइन- ये पिल्स बेंजोडायजेपाइन की तुलना में कम असरदार होती हैं. इसके साइड इफेक्ट्स भी कम हो सकते हैं.

नींद की गोलियां लेने के क्या साइड इफेक्ट्स हैं

1.स्लीपिंग पिल्स लेने वालों को हो सकता है नॉर्मल नींद ना आए. कई बार रात में अचानक से उठकर चौंक भी सकते हैं. इसे लेने से नींद न आने की समस्याएं भी हो सकती हैं. 

2. स्लीपिंग पिल्स बनती ही इसलिए है कि नींद आए लेकिन अगर बिना डॉक्टर की सलाह ली जाए तो ज्यादा नींद लगने की समस्या खड़ी हो सकती है.

3. नींद की गोलियां लंबे समय तक इस्तेमाल करने से दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है. इससे चिड़चिड़ापन, गुस्सा आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके मेमोरी से जुड़ी प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं.

4. ज्यादा स्लीपिंग पिल्स नींद उड़ा भी सकती हैं और रातभर जगा सकती है.

5.अगर बिना डॉक्टर की सलाह पर नींद की गोलियां ले रहे हैं तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं. इसका लिवर और किडनी पर निगेटिव असर पड़ सकता है. इससे दो अंग फेल या डैमेज हो सकते हैं.

कब जाना चाहिए डॉक्टर के पास

1. जब रोज-रोज स्लीपिंग पिल्स लेने की आदत पड़ जाए और लगे कि इसके बिना नींद ही नहीं आ रही है.

2. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद अगर उल्टी और चक्कर आए.

3. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद भी अगर नींद न जाए और रातभर जागना पड़े.

4. हार्ट, लिवर या किडनी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह स्लीपिंग पिल्स न खाएं.

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नींद की गोलियां कितनी सेफ 

स्लीपिंग पिल्स नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए मददगार होती हैं. ये दवाईयां डॉक्टर्स नींद न आने की गंभीर समस्याएं होने पर देते हैं. स्लीपिंग पिल्स दिमाग के केमिकल्स पर अपना प्रभाव डालते हैं. उन केमिकल्स को कंट्रोल कर शांत करनते हैं, जिसके बाद नींद में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आती हैं. ज्यादा सीरियस प्रॉब्लम होने पर अगर डॉक्टर एक तय मात्रा में इसकी सलाह देते हैं तो यह सेफ हो सकता है लेकिन अगर इसे नॉर्मल प्रॉब्लम्स में भी ले रहे हैं तो इसका असर हेल्थ पड़ना तय है. इसलिए इसे लेने से बचना चाहिए.

स्लीपिंग पिल्स के प्रकार

1.बेंजोडायजेपाइन- ये गोलियां तुरंत असर दिखाती हैं और जल्दी नींद लाती हैं. लंबे समय तक इनका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है.

2.नॉन बेंजोडायजेपाइन- ये पिल्स बेंजोडायजेपाइन की तुलना में कम असरदार होती हैं. इसके साइड इफेक्ट्स भी कम हो सकते हैं.

नींद की गोलियां लेने के क्या साइड इफेक्ट्स हैं

1.स्लीपिंग पिल्स लेने वालों को हो सकता है नॉर्मल नींद ना आए. कई बार रात में अचानक से उठकर चौंक भी सकते हैं. इसे लेने से नींद न आने की समस्याएं भी हो सकती हैं. 

2. स्लीपिंग पिल्स बनती ही इसलिए है कि नींद आए लेकिन अगर बिना डॉक्टर की सलाह ली जाए तो ज्यादा नींद लगने की समस्या खड़ी हो सकती है.

3. नींद की गोलियां लंबे समय तक इस्तेमाल करने से दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है. इससे चिड़चिड़ापन, गुस्सा आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके मेमोरी से जुड़ी प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं.

4. ज्यादा स्लीपिंग पिल्स नींद उड़ा भी सकती हैं और रातभर जगा सकती है.

5.अगर बिना डॉक्टर की सलाह पर नींद की गोलियां ले रहे हैं तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं. इसका लिवर और किडनी पर निगेटिव असर पड़ सकता है. इससे दो अंग फेल या डैमेज हो सकते हैं.

कब जाना चाहिए डॉक्टर के पास

1. जब रोज-रोज स्लीपिंग पिल्स लेने की आदत पड़ जाए और लगे कि इसके बिना नींद ही नहीं आ रही है.

2. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद अगर उल्टी और चक्कर आए.

3. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद भी अगर नींद न जाए और रातभर जागना पड़े.

4. हार्ट, लिवर या किडनी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह स्लीपिंग पिल्स न खाएं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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नींद की गोलियां कितनी सेफ 

स्लीपिंग पिल्स नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए मददगार होती हैं. ये दवाईयां डॉक्टर्स नींद न आने की गंभीर समस्याएं होने पर देते हैं. स्लीपिंग पिल्स दिमाग के केमिकल्स पर अपना प्रभाव डालते हैं. उन केमिकल्स को कंट्रोल कर शांत करनते हैं, जिसके बाद नींद में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आती हैं. ज्यादा सीरियस प्रॉब्लम होने पर अगर डॉक्टर एक तय मात्रा में इसकी सलाह देते हैं तो यह सेफ हो सकता है लेकिन अगर इसे नॉर्मल प्रॉब्लम्स में भी ले रहे हैं तो इसका असर हेल्थ पड़ना तय है. इसलिए इसे लेने से बचना चाहिए.

स्लीपिंग पिल्स के प्रकार

1.बेंजोडायजेपाइन- ये गोलियां तुरंत असर दिखाती हैं और जल्दी नींद लाती हैं. लंबे समय तक इनका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है.

2.नॉन बेंजोडायजेपाइन- ये पिल्स बेंजोडायजेपाइन की तुलना में कम असरदार होती हैं. इसके साइड इफेक्ट्स भी कम हो सकते हैं.

नींद की गोलियां लेने के क्या साइड इफेक्ट्स हैं

1.स्लीपिंग पिल्स लेने वालों को हो सकता है नॉर्मल नींद ना आए. कई बार रात में अचानक से उठकर चौंक भी सकते हैं. इसे लेने से नींद न आने की समस्याएं भी हो सकती हैं. 

2. स्लीपिंग पिल्स बनती ही इसलिए है कि नींद आए लेकिन अगर बिना डॉक्टर की सलाह ली जाए तो ज्यादा नींद लगने की समस्या खड़ी हो सकती है.

3. नींद की गोलियां लंबे समय तक इस्तेमाल करने से दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है. इससे चिड़चिड़ापन, गुस्सा आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके मेमोरी से जुड़ी प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं.

4. ज्यादा स्लीपिंग पिल्स नींद उड़ा भी सकती हैं और रातभर जगा सकती है.

5.अगर बिना डॉक्टर की सलाह पर नींद की गोलियां ले रहे हैं तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं. इसका लिवर और किडनी पर निगेटिव असर पड़ सकता है. इससे दो अंग फेल या डैमेज हो सकते हैं.

कब जाना चाहिए डॉक्टर के पास

1. जब रोज-रोज स्लीपिंग पिल्स लेने की आदत पड़ जाए और लगे कि इसके बिना नींद ही नहीं आ रही है.

2. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद अगर उल्टी और चक्कर आए.

3. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद भी अगर नींद न जाए और रातभर जागना पड़े.

4. हार्ट, लिवर या किडनी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह स्लीपिंग पिल्स न खाएं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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Sleeping Pills Side Effects : क्या आपको भी रात-रात नींद नहीं आती है, क्या आप भी नींद की गोलियां खा रहे हैं. अगर हां तो सावधान हो जाइए, वरना आपकी किडनी और लिवर दोनों डैमेज हो सकती हैं. अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के एक तिहाई वयस्क नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं. जिसकी वजह से ज्यादातर लोगों को स्लीपिंग पिल्स (Sleeping Pills) लेने पड़ रहे हैं. इन दवाओं के कई साइड इफेक्ट्स हैं. ऐसे में बिना डॉक्टर्स की सलाह पर इन्हें लेने से बचना चाहिए. आइए जानते हैं नींद की गोलियों के क्या-क्या खतरे हैं...

नींद की गोलियां कितनी सेफ 

स्लीपिंग पिल्स नींद की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए मददगार होती हैं. ये दवाईयां डॉक्टर्स नींद न आने की गंभीर समस्याएं होने पर देते हैं. स्लीपिंग पिल्स दिमाग के केमिकल्स पर अपना प्रभाव डालते हैं. उन केमिकल्स को कंट्रोल कर शांत करनते हैं, जिसके बाद नींद में किसी तरह की दिक्कतें नहीं आती हैं. ज्यादा सीरियस प्रॉब्लम होने पर अगर डॉक्टर एक तय मात्रा में इसकी सलाह देते हैं तो यह सेफ हो सकता है लेकिन अगर इसे नॉर्मल प्रॉब्लम्स में भी ले रहे हैं तो इसका असर हेल्थ पड़ना तय है. इसलिए इसे लेने से बचना चाहिए.

स्लीपिंग पिल्स के प्रकार

1.बेंजोडायजेपाइन- ये गोलियां तुरंत असर दिखाती हैं और जल्दी नींद लाती हैं. लंबे समय तक इनका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है.

2.नॉन बेंजोडायजेपाइन- ये पिल्स बेंजोडायजेपाइन की तुलना में कम असरदार होती हैं. इसके साइड इफेक्ट्स भी कम हो सकते हैं.

नींद की गोलियां लेने के क्या साइड इफेक्ट्स हैं

1.स्लीपिंग पिल्स लेने वालों को हो सकता है नॉर्मल नींद ना आए. कई बार रात में अचानक से उठकर चौंक भी सकते हैं. इसे लेने से नींद न आने की समस्याएं भी हो सकती हैं. 

2. स्लीपिंग पिल्स बनती ही इसलिए है कि नींद आए लेकिन अगर बिना डॉक्टर की सलाह ली जाए तो ज्यादा नींद लगने की समस्या खड़ी हो सकती है.

3. नींद की गोलियां लंबे समय तक इस्तेमाल करने से दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है. इससे चिड़चिड़ापन, गुस्सा आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसके मेमोरी से जुड़ी प्रॉब्लम्स भी हो सकती हैं.

4. ज्यादा स्लीपिंग पिल्स नींद उड़ा भी सकती हैं और रातभर जगा सकती है.

5.अगर बिना डॉक्टर की सलाह पर नींद की गोलियां ले रहे हैं तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं. इसका लिवर और किडनी पर निगेटिव असर पड़ सकता है. इससे दो अंग फेल या डैमेज हो सकते हैं.

कब जाना चाहिए डॉक्टर के पास

1. जब रोज-रोज स्लीपिंग पिल्स लेने की आदत पड़ जाए और लगे कि इसके बिना नींद ही नहीं आ रही है.

2. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद अगर उल्टी और चक्कर आए.

3. स्लीपिंग पिल्स लेने के बाद भी अगर नींद न जाए और रातभर जागना पड़े.

4. हार्ट, लिवर या किडनी जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो बिना डॉक्टर की सलाह स्लीपिंग पिल्स न खाएं.

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ये भी पढ़ें: कई सारे लोग ऐसे हैं जो रोजाना ब्रे़ड खाते हैं. लेकिन कई बार यह लो-कार्ब डाइट और कार्ब-फ़ोबिक डाइटिंग ब्रेड को लेकर एक बहस छिड़ा हुआ है कि यह सेहत के लिए अच्छा होता है या नहीं? आज हम बात करेंगे कि रोजाना ब्रेड खाने से सेहत पर क्या बुरा असर होता है? कई लोगों को उनके पोषक तत्वों के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद कर सकता है. ग्रेन फ़ूड्स फ़ाउंडेशन के अनुसार, ब्रेड फ़ोलेट, फ़ाइबर, आयरन, बी विटामिन और बहुत कुछ का एक बेहतरीन स्रोत हो सकता है.

ब्रेड दिन पर दिन हमारी मॉर्डन लाइफस्टाइल का इतना अहम हिस्सा हो गया है कि यह किसी भी ग्रॉसरी शॉप में आसानी से मिल जाएगा. कुछ लोगों का मानना है कि ब्रेड में कार्ब्स कम होते हैं इसलिए यह हेल्थ को नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन क्या यह सच है? आज हम जानेंगे कि ब्रेड खाना सेहत के लिए अच्छा है या नहीं? 

खाली पेट ब्रेड न खाएं

मार्केट से लेकर घर में ब्रेड को लेकर कई तरह के भ्रम फैले हुए हैं. ब्रेड की खासियत भी कम नहीं है कि कम कीमत में यह किसी के लिए बेस्ट खाना हो सकता है. Grains Food Foundation के मुताबिक ब्रेड में फोलेट, फाइबर, आयरन, बी विटामिन और बहुत कुछ होता है. लेकिन खाली पेट सिर्फ ब्रेड खाना आपकी हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप एकदम ब्रेड को खराब बोल सकते हैं क्योंकि कई ऐसी डाइटिशियन हैं जो ब्रेड को ब्रेकफास्ट में शामिल करने के लिए कहती हैं.  लेकिन व्हाइट ब्रेड बल्कि मल्टी ग्रेंन्स वाले ब्रेड या ब्राउन ब्रेड.

ब्रेड में होते हैं ये पोषण तत्व

  • कैलोरी: 82
  • प्रोटीन: 4 ग्राम
  • कुल वसा: 1 ग्राम
  • फैट: 0 ग्राम
  • कार्बोहाइड्रेट: 14 ग्राम
  • फाइबर: 2 ग्राम
  • चीनी: 1 ग्राम

खाली पेट ब्रेड खाने से हो सकते हैं ये नुकसान:

बढ़ सकता है हाई ब्लड शुगर

रोजाना खाली पेट ब्रेड खाने से आपका शुगर लेवल काफी ज्यादा बढ़ सकता है. इसका हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स आपके ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. ब्रेड में एमाइलोपेक्टिन ए होता है जो शुगर लेवल बढ़ाता है. रोजाना खाने से डायबिटीज, गुर्दे की पथरी और दिल की बीमारी भी हो सकती है. 

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बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है

विटामिन E और फाइबर जो शायद ही ब्रेड में होते हैं. जिसकी वजह इसे रोजाना खाया जाए तो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है.  

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बढ़ने लगता है वजन

रोजाना ब्रेड खाने से शरीर का वजन बढ़ने लगता है. शुरुआत होती है आपको सबसे पहले कब्ज होगा. आगे जाकर मेटाबॉलिक रेट कम होगा. जिसके बाद शरीर में प्रोटीन और फैट जमा होने लगेगा. और कार्बोहाइड्रेट चीनी में बदलने लगेगा. इसी कारण वजन बढ़ने लगता है. सफेद ब्रेड तो वजन बढ़ाने का मुख्य कारण है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: कई सारे लोग ऐसे हैं जो रोजाना ब्रे़ड खाते हैं. लेकिन कई बार यह लो-कार्ब डाइट और कार्ब-फ़ोबिक डाइटिंग ब्रेड को लेकर एक बहस छिड़ा हुआ है कि यह सेहत के लिए अच्छा होता है या नहीं? आज हम बात करेंगे कि रोजाना ब्रेड खाने से सेहत पर क्या बुरा असर होता है? कई लोगों को उनके पोषक तत्वों के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद कर सकता है. ग्रेन फ़ूड्स फ़ाउंडेशन के अनुसार, ब्रेड फ़ोलेट, फ़ाइबर, आयरन, बी विटामिन और बहुत कुछ का एक बेहतरीन स्रोत हो सकता है.

ब्रेड दिन पर दिन हमारी मॉर्डन लाइफस्टाइल का इतना अहम हिस्सा हो गया है कि यह किसी भी ग्रॉसरी शॉप में आसानी से मिल जाएगा. कुछ लोगों का मानना है कि ब्रेड में कार्ब्स कम होते हैं इसलिए यह हेल्थ को नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन क्या यह सच है? आज हम जानेंगे कि ब्रेड खाना सेहत के लिए अच्छा है या नहीं? 

खाली पेट ब्रेड न खाएं

मार्केट से लेकर घर में ब्रेड को लेकर कई तरह के भ्रम फैले हुए हैं. ब्रेड की खासियत भी कम नहीं है कि कम कीमत में यह किसी के लिए बेस्ट खाना हो सकता है. Grains Food Foundation के मुताबिक ब्रेड में फोलेट, फाइबर, आयरन, बी विटामिन और बहुत कुछ होता है. लेकिन खाली पेट सिर्फ ब्रेड खाना आपकी हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप एकदम ब्रेड को खराब बोल सकते हैं क्योंकि कई ऐसी डाइटिशियन हैं जो ब्रेड को ब्रेकफास्ट में शामिल करने के लिए कहती हैं.  लेकिन व्हाइट ब्रेड बल्कि मल्टी ग्रेंन्स वाले ब्रेड या ब्राउन ब्रेड.

ब्रेड में होते हैं ये पोषण तत्व

  • कैलोरी: 82
  • प्रोटीन: 4 ग्राम
  • कुल वसा: 1 ग्राम
  • फैट: 0 ग्राम
  • कार्बोहाइड्रेट: 14 ग्राम
  • फाइबर: 2 ग्राम
  • चीनी: 1 ग्राम

खाली पेट ब्रेड खाने से हो सकते हैं ये नुकसान:

बढ़ सकता है हाई ब्लड शुगर

रोजाना खाली पेट ब्रेड खाने से आपका शुगर लेवल काफी ज्यादा बढ़ सकता है. इसका हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स आपके ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. ब्रेड में एमाइलोपेक्टिन ए होता है जो शुगर लेवल बढ़ाता है. रोजाना खाने से डायबिटीज, गुर्दे की पथरी और दिल की बीमारी भी हो सकती है. 

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है

विटामिन E और फाइबर जो शायद ही ब्रेड में होते हैं. जिसकी वजह इसे रोजाना खाया जाए तो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है.  

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

बढ़ने लगता है वजन

रोजाना ब्रेड खाने से शरीर का वजन बढ़ने लगता है. शुरुआत होती है आपको सबसे पहले कब्ज होगा. आगे जाकर मेटाबॉलिक रेट कम होगा. जिसके बाद शरीर में प्रोटीन और फैट जमा होने लगेगा. और कार्बोहाइड्रेट चीनी में बदलने लगेगा. इसी कारण वजन बढ़ने लगता है. सफेद ब्रेड तो वजन बढ़ाने का मुख्य कारण है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: कई सारे लोग ऐसे हैं जो रोजाना ब्रे़ड खाते हैं. लेकिन कई बार यह लो-कार्ब डाइट और कार्ब-फ़ोबिक डाइटिंग ब्रेड को लेकर एक बहस छिड़ा हुआ है कि यह सेहत के लिए अच्छा होता है या नहीं? आज हम बात करेंगे कि रोजाना ब्रेड खाने से सेहत पर क्या बुरा असर होता है? कई लोगों को उनके पोषक तत्वों के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद कर सकता है. ग्रेन फ़ूड्स फ़ाउंडेशन के अनुसार, ब्रेड फ़ोलेट, फ़ाइबर, आयरन, बी विटामिन और बहुत कुछ का एक बेहतरीन स्रोत हो सकता है.

ब्रेड दिन पर दिन हमारी मॉर्डन लाइफस्टाइल का इतना अहम हिस्सा हो गया है कि यह किसी भी ग्रॉसरी शॉप में आसानी से मिल जाएगा. कुछ लोगों का मानना है कि ब्रेड में कार्ब्स कम होते हैं इसलिए यह हेल्थ को नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन क्या यह सच है? आज हम जानेंगे कि ब्रेड खाना सेहत के लिए अच्छा है या नहीं? 

खाली पेट ब्रेड न खाएं

मार्केट से लेकर घर में ब्रेड को लेकर कई तरह के भ्रम फैले हुए हैं. ब्रेड की खासियत भी कम नहीं है कि कम कीमत में यह किसी के लिए बेस्ट खाना हो सकता है. Grains Food Foundation के मुताबिक ब्रेड में फोलेट, फाइबर, आयरन, बी विटामिन और बहुत कुछ होता है. लेकिन खाली पेट सिर्फ ब्रेड खाना आपकी हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप एकदम ब्रेड को खराब बोल सकते हैं क्योंकि कई ऐसी डाइटिशियन हैं जो ब्रेड को ब्रेकफास्ट में शामिल करने के लिए कहती हैं.  लेकिन व्हाइट ब्रेड बल्कि मल्टी ग्रेंन्स वाले ब्रेड या ब्राउन ब्रेड.

ब्रेड में होते हैं ये पोषण तत्व

  • कैलोरी: 82
  • प्रोटीन: 4 ग्राम
  • कुल वसा: 1 ग्राम
  • फैट: 0 ग्राम
  • कार्बोहाइड्रेट: 14 ग्राम
  • फाइबर: 2 ग्राम
  • चीनी: 1 ग्राम

खाली पेट ब्रेड खाने से हो सकते हैं ये नुकसान:

बढ़ सकता है हाई ब्लड शुगर

रोजाना खाली पेट ब्रेड खाने से आपका शुगर लेवल काफी ज्यादा बढ़ सकता है. इसका हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स आपके ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. ब्रेड में एमाइलोपेक्टिन ए होता है जो शुगर लेवल बढ़ाता है. रोजाना खाने से डायबिटीज, गुर्दे की पथरी और दिल की बीमारी भी हो सकती है. 

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बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है

विटामिन E और फाइबर जो शायद ही ब्रेड में होते हैं. जिसकी वजह इसे रोजाना खाया जाए तो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है.  

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

बढ़ने लगता है वजन

रोजाना ब्रेड खाने से शरीर का वजन बढ़ने लगता है. शुरुआत होती है आपको सबसे पहले कब्ज होगा. आगे जाकर मेटाबॉलिक रेट कम होगा. जिसके बाद शरीर में प्रोटीन और फैट जमा होने लगेगा. और कार्बोहाइड्रेट चीनी में बदलने लगेगा. इसी कारण वजन बढ़ने लगता है. सफेद ब्रेड तो वजन बढ़ाने का मुख्य कारण है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: कई सारे लोग ऐसे हैं जो रोजाना ब्रे़ड खाते हैं. लेकिन कई बार यह लो-कार्ब डाइट और कार्ब-फ़ोबिक डाइटिंग ब्रेड को लेकर एक बहस छिड़ा हुआ है कि यह सेहत के लिए अच्छा होता है या नहीं? आज हम बात करेंगे कि रोजाना ब्रेड खाने से सेहत पर क्या बुरा असर होता है? कई लोगों को उनके पोषक तत्वों के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद कर सकता है. ग्रेन फ़ूड्स फ़ाउंडेशन के अनुसार, ब्रेड फ़ोलेट, फ़ाइबर, आयरन, बी विटामिन और बहुत कुछ का एक बेहतरीन स्रोत हो सकता है.

ब्रेड दिन पर दिन हमारी मॉर्डन लाइफस्टाइल का इतना अहम हिस्सा हो गया है कि यह किसी भी ग्रॉसरी शॉप में आसानी से मिल जाएगा. कुछ लोगों का मानना है कि ब्रेड में कार्ब्स कम होते हैं इसलिए यह हेल्थ को नुकसान नहीं पहुंचाता है लेकिन क्या यह सच है? आज हम जानेंगे कि ब्रेड खाना सेहत के लिए अच्छा है या नहीं? 

खाली पेट ब्रेड न खाएं

मार्केट से लेकर घर में ब्रेड को लेकर कई तरह के भ्रम फैले हुए हैं. ब्रेड की खासियत भी कम नहीं है कि कम कीमत में यह किसी के लिए बेस्ट खाना हो सकता है. Grains Food Foundation के मुताबिक ब्रेड में फोलेट, फाइबर, आयरन, बी विटामिन और बहुत कुछ होता है. लेकिन खाली पेट सिर्फ ब्रेड खाना आपकी हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकता है. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप एकदम ब्रेड को खराब बोल सकते हैं क्योंकि कई ऐसी डाइटिशियन हैं जो ब्रेड को ब्रेकफास्ट में शामिल करने के लिए कहती हैं.  लेकिन व्हाइट ब्रेड बल्कि मल्टी ग्रेंन्स वाले ब्रेड या ब्राउन ब्रेड.

ब्रेड में होते हैं ये पोषण तत्व

  • कैलोरी: 82
  • प्रोटीन: 4 ग्राम
  • कुल वसा: 1 ग्राम
  • फैट: 0 ग्राम
  • कार्बोहाइड्रेट: 14 ग्राम
  • फाइबर: 2 ग्राम
  • चीनी: 1 ग्राम

खाली पेट ब्रेड खाने से हो सकते हैं ये नुकसान:

बढ़ सकता है हाई ब्लड शुगर

रोजाना खाली पेट ब्रेड खाने से आपका शुगर लेवल काफी ज्यादा बढ़ सकता है. इसका हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स आपके ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. ब्रेड में एमाइलोपेक्टिन ए होता है जो शुगर लेवल बढ़ाता है. रोजाना खाने से डायबिटीज, गुर्दे की पथरी और दिल की बीमारी भी हो सकती है. 

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

बैड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है

विटामिन E और फाइबर जो शायद ही ब्रेड में होते हैं. जिसकी वजह इसे रोजाना खाया जाए तो शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल बढ़ने लगता है और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है.  

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

बढ़ने लगता है वजन

रोजाना ब्रेड खाने से शरीर का वजन बढ़ने लगता है. शुरुआत होती है आपको सबसे पहले कब्ज होगा. आगे जाकर मेटाबॉलिक रेट कम होगा. जिसके बाद शरीर में प्रोटीन और फैट जमा होने लगेगा. और कार्बोहाइड्रेट चीनी में बदलने लगेगा. इसी कारण वजन बढ़ने लगता है. सफेद ब्रेड तो वजन बढ़ाने का मुख्य कारण है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: नवजात शिशु का शरीर अंदर से बहुत नाजुक होता है और उसका इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है. यही वजह है कि वे संक्रमण और बीमारियों का जल्दी शिकार हो जाते हैं. नवजात शिशु को स्वस्थ रखने के लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना बहुत जरूरी है. रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर शिशु न सिर्फ मौसमी बीमारियों से बचा रहता है, बल्कि उसका शारीरिक और मानसिक विकास भी बेहतर होता है.

न्यू बॉर्न बेबी के इम्युनिटी को ऐसे करें मजबूत

खास तौर पर बदलते मौसम और सर्दियों के दौरान शिशु को बीमारियों से बचाने के लिए खास सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप अपने नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे मजबूत कर सकते हैं और इसके लिए आपको क्या उपाय अपनाने चाहिए. यहां 5 कारगर उपाय बताए गए हैं जो न सिर्फ आपके शिशु को बीमारियों से दूर रखेंगे बल्कि उसे स्वस्थ रखने में भी मदद करेंगे.

1. ब्रेस्टफीडिंग
स्तनपान शिशु के लिए संपूर्ण आहार है। इसमें मौजूद एंटीबॉडी शिशु को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं. कोलोस्ट्रम जिसे प्रसव के बाद पहला दूध कहा जाता है, प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करता है. इसमें विटामिन और एंटीबॉडी भरपूर मात्रा में होते हैं. शिशु को कम से कम 6 महीने तक केवल माँ का दूध ही पिलाना चाहिए.

2. साफ-सफाई
नवजात शिशु का शरीर संक्रमण के प्रति संवेदनशील होता है. इसलिए, उनकी त्वचा, कपड़े और आस-पास के वातावरण की साफ-सफाई पर ध्यान देना ज़रूरी है. शिशु के खिलौनों और अन्य ज़रूरी चीज़ों को नियमित रूप से साफ करें. इस तरह आप शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं.

3. सही तापमान बनाए रखें
नवजात शिशु ठंड और गर्मी के प्रति जल्दी प्रतिक्रिया करते हैं. उन्हें सही तापमान पर रखने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. ठंड के मौसम में उन्हें गर्म और मुलायम कपड़े पहनाएं. अगर आप शिशु को बाहर ले जा रहे हैं, तो उसे ठंडी हवा से बचाने के लिए कपड़ों की परतें चढ़ाएं.

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

4. टीकाकरण
शिशु को समय पर टीका लगवाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह उन्हें खसरा, चिकनपॉक्स और अन्य गंभीर बीमारियों से बचाता है. अपने डॉक्टर से टीकाकरण कार्यक्रम की जांच अवश्य करवाएं. सर्दियों के दौरान, टीके आपके बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं.

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5. पोषक तत्वों से भरपूर भोजन
जब बच्चा 6 महीने का हो जाए, तो उसे पोषक तत्वों से भरपूर ठोस आहार दें, जैसे कि फल, सब्जियां और अनाज. इससे उनके शारीरिक विकास के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना उसके बेहतर स्वास्थ्य और विकास के लिए महत्वपूर्ण है. आप मां के दूध, साफ-सफाई, टीकाकरण और उचित देखभाल के ज़रिए बच्चे को बीमारियों से दूर रख सकते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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नवजात शिशु का शरीर अंदर से बहुत नाजुक होता है और उसका इम्यून सिस्टम पूरी तरह से विकसित नहीं होता है. यही वजह है कि वे संक्रमण और बीमारियों का जल्दी शिकार हो जाते हैं. नवजात शिशु को स्वस्थ रखने के लिए उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाना बहुत जरूरी है. रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने पर शिशु न सिर्फ मौसमी बीमारियों से बचा रहता है, बल्कि उसका शारीरिक और मानसिक विकास भी बेहतर होता है.

न्यू बॉर्न बेबी के इम्युनिटी को ऐसे करें मजबूत

खास तौर पर बदलते मौसम और सर्दियों के दौरान शिशु को बीमारियों से बचाने के लिए खास सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप अपने नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कैसे मजबूत कर सकते हैं और इसके लिए आपको क्या उपाय अपनाने चाहिए. यहां 5 कारगर उपाय बताए गए हैं जो न सिर्फ आपके शिशु को बीमारियों से दूर रखेंगे बल्कि उसे स्वस्थ रखने में भी मदद करेंगे.

1. ब्रेस्टफीडिंग
स्तनपान शिशु के लिए संपूर्ण आहार है। इसमें मौजूद एंटीबॉडी शिशु को संक्रमण से बचाने में मदद करते हैं. कोलोस्ट्रम जिसे प्रसव के बाद पहला दूध कहा जाता है, प्रतिरक्षा बूस्टर के रूप में कार्य करता है. इसमें विटामिन और एंटीबॉडी भरपूर मात्रा में होते हैं. शिशु को कम से कम 6 महीने तक केवल माँ का दूध ही पिलाना चाहिए.

2. साफ-सफाई
नवजात शिशु का शरीर संक्रमण के प्रति संवेदनशील होता है. इसलिए, उनकी त्वचा, कपड़े और आस-पास के वातावरण की साफ-सफाई पर ध्यान देना ज़रूरी है. शिशु के खिलौनों और अन्य ज़रूरी चीज़ों को नियमित रूप से साफ करें. इस तरह आप शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं.

3. सही तापमान बनाए रखें
नवजात शिशु ठंड और गर्मी के प्रति जल्दी प्रतिक्रिया करते हैं. उन्हें सही तापमान पर रखने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. ठंड के मौसम में उन्हें गर्म और मुलायम कपड़े पहनाएं. अगर आप शिशु को बाहर ले जा रहे हैं, तो उसे ठंडी हवा से बचाने के लिए कपड़ों की परतें चढ़ाएं.

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4. टीकाकरण
शिशु को समय पर टीका लगवाने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यह उन्हें खसरा, चिकनपॉक्स और अन्य गंभीर बीमारियों से बचाता है. अपने डॉक्टर से टीकाकरण कार्यक्रम की जांच अवश्य करवाएं. सर्दियों के दौरान, टीके आपके बच्चे को संक्रमण से बचाने के लिए सुरक्षा कवच का काम करते हैं.

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5. पोषक तत्वों से भरपूर भोजन
जब बच्चा 6 महीने का हो जाए, तो उसे पोषक तत्वों से भरपूर ठोस आहार दें, जैसे कि फल, सब्जियां और अनाज. इससे उनके शारीरिक विकास के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना उसके बेहतर स्वास्थ्य और विकास के लिए महत्वपूर्ण है. आप मां के दूध, साफ-सफाई, टीकाकरण और उचित देखभाल के ज़रिए बच्चे को बीमारियों से दूर रख सकते हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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स्किन की यह रेयर बीमारी से जूझ रही हैं रश्मिका मंदाना! जानें लक्षण और कारण
 <p style="text-align: justify;">बहुत ज़्यादा केमिकल से भरपूर कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करने से कई तरह की त्वचा संबंधी बीमारियां हो सकती हैं और इससे पहले टॉलीवुड एक्ट्रेस सामंथा रूथ प्रभु को मायोसिटिस नामक एक दुर्लभ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर बीमारी का पता चला था. जिससे सभी हैरान रह गए थे. अब एक और चौंकाने वाली खबर यह है कि रश्मिका मंदाना भी एक दुर्लभ और गंभीर त्वचा रोग से पीड़ित हैं. उनकी त्वचा रोग के बारे में सभी अफ़वाहें तब शुरू हुईं जब उन्होंने बताया कि उनका दिन कैसा बीता और उन्होंने त्वचा विशेषज्ञ से मिलने का ज़िक्र किया. कुछ लोगों का मानना ​​है कि रश्मिका त्वचा रोग से पीड़ित हैं . यही वजह है कि वह त्वचा विशेषज्ञ के पास गई हैं. जबकि अन्य का तर्क है कि त्वचा रोग को त्वचा विशेषज्ञ से मिलने से जोड़ने का कोई कारण नहीं है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>रश्मिका मंदाना स्किन की बीमारी से पीड़ित हैं</strong></p>
<p style="text-align: justify;">कई एक्ट्रेस केमिकल से भरपूर कॉस्मेटिक का इस्तेमाल करने और सूरज की रोशनी में रहने के कारण एक्ट्रेस किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं. कुछ एक्ट्रेस  इसलिए भी कई बीमारी से पीड़ित हैं क्योंकि वे डाइटिंग करती हैं और त्वचा को बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में विटामिन और खनिज नहीं लेती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>स्किन से जुड़ी कौन-कौन सी समस्याएं होती है. उसके बारे में विस्तार से जानें:</strong></p>
<p>त्वचा की कई समस्याएं हैं जो खुजली, जलन, लालिमा और चकत्ते सहित कई तरह के लक्षण पैदा कर सकती हैं. कुछ सामान्य त्वचा समस्याओं में शामिल हैं.</p>
<p><strong>मुंहासे:</strong> बंद बालों के रोम के कारण, मुहासे से चेहरे, पीठ और छाती पर फुंसी, ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स के रूप में दिखाई दे सकते हैं.</p>
<p><strong>एक्जिमा (एटोपिक डर्मेटाइटिस):</strong> एक खुजली वाली, सूजन वाली त्वचा की स्थिति जो लालिमा, सूजन, दरार और पपड़ीदारपन पैदा कर सकती है.</p>
<p><strong>सोरायसिस:</strong> एक खुजली वाली, पपड़ीदार, लाल त्वचा की स्थिति जो सूजन या गर्मी का एहसास पैदा कर सकती है.</p>
<p><strong>एलोपेसिया एरीटा:</strong> एक ऑटोइम्यून विकार जो छोटे, गोल पैच में बालों के झड़ने का कारण बनता है.</p>
<p><strong>रोसैसिया:</strong> एक त्वचा की स्थिति जो आमतौर पर चेहरे पर लाल, मोटी त्वचा और फुंसियों का कारण बनती है.</p>
<p><strong>ये भी पढ़ें: <a title="अक्सर रहता है सिरदर्द तो हो जाएं सावधान, हो सकती है ये खतरनाक बीमारी" href="https://ift.tt/HofXkDV" target="_self">अक्सर रहता है सिरदर्द तो हो जाएं सावधान, हो सकती है ये खतरनाक बीमारी</a></strong></p>
<p><strong>त्वचा कैंसर:</strong> असामान्य त्वचा कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि.</p>
<p><strong>ये भी पढ़ें: <a title="सर्दियों में इस तरह से खाएं प्रोबायटिक्स चीजें और हरी पत्तेदार सब्जियां, कब्ज से 2 दिन में मिलेगी राहत" href="https://ift.tt/Xa9TonL" target="_self">सर्दियों में इस तरह से खाएं प्रोबायटिक्स चीजें और हरी पत्तेदार सब्जियां, कब्ज से 2 दिन में मिलेगी राहत</a></strong></p>
<p><strong>विटिलिगो:</strong> एक त्वचा की स्थिति जो त्वचा के पैच को रंगहीन कर देती है.</p>
<p><strong>ये भी पढ़ें: <a title="सर्दियों में खजूर खाने से मिलते हैं कमाल के हेल्थ बेनिफिट्स, जानें एक दिन में कब और कितना खाना चाहिए" href="https://ift.tt/T0qrAbP" target="_self">सर्दियों में खजूर खाने से मिलते हैं कमाल के हेल्थ बेनिफिट्स, जानें एक दिन में कब और कितना खाना चाहिए</a></strong></p>
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 कैविटी की वजह से होता है यह अजीब-सा कैंसर, मरीज को मेटल जैसा लगता है खाना

स्किन की यह रेयर बीमारी से जूझ रही हैं रश्मिका मंदाना! जानें लक्षण और कारण

बहुत ज़्यादा केमिकल से भरपूर कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करने से कई तरह की त्वचा संबंधी बीमारियां हो सकती हैं और इससे पहले टॉलीवुड एक्ट्रेस सामंथा रूथ प्रभु को मायोसिटिस नामक एक दुर्लभ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर बीमारी का पता चला था. जिससे सभी हैरान रह गए थे. अब एक और चौंकाने वाली खबर यह है कि रश्मिका मंदाना भी एक दुर्लभ और गंभीर त्वचा रोग से पीड़ित हैं. उनकी त्वचा रोग के बारे में सभी अफ़वाहें तब शुरू हुईं जब उन्होंने बताया कि उनका दिन कैसा बीता और उन्होंने त्वचा विशेषज्ञ से मिलने का ज़िक्र किया. कुछ लोगों का मानना ​​है कि रश्मिका त्वचा रोग से पीड़ित हैं . यही वजह है कि वह त्वचा विशेषज्ञ के पास गई हैं. जबकि अन्य का तर्क है कि त्वचा रोग को त्वचा विशेषज्ञ से मिलने से जोड़ने का कोई कारण नहीं है.

रश्मिका मंदाना स्किन की बीमारी से पीड़ित हैं

कई एक्ट्रेस केमिकल से भरपूर कॉस्मेटिक का इस्तेमाल करने और सूरज की रोशनी में रहने के कारण एक्ट्रेस किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं. कुछ एक्ट्रेस  इसलिए भी कई बीमारी से पीड़ित हैं क्योंकि वे डाइटिंग करती हैं और त्वचा को बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में विटामिन और खनिज नहीं लेती हैं.

स्किन से जुड़ी कौन-कौन सी समस्याएं होती है. उसके बारे में विस्तार से जानें:

त्वचा की कई समस्याएं हैं जो खुजली, जलन, लालिमा और चकत्ते सहित कई तरह के लक्षण पैदा कर सकती हैं. कुछ सामान्य त्वचा समस्याओं में शामिल हैं.

मुंहासे: बंद बालों के रोम के कारण, मुहासे से चेहरे, पीठ और छाती पर फुंसी, ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स के रूप में दिखाई दे सकते हैं.

एक्जिमा (एटोपिक डर्मेटाइटिस): एक खुजली वाली, सूजन वाली त्वचा की स्थिति जो लालिमा, सूजन, दरार और पपड़ीदारपन पैदा कर सकती है.

सोरायसिस: एक खुजली वाली, पपड़ीदार, लाल त्वचा की स्थिति जो सूजन या गर्मी का एहसास पैदा कर सकती है.

एलोपेसिया एरीटा: एक ऑटोइम्यून विकार जो छोटे, गोल पैच में बालों के झड़ने का कारण बनता है.

रोसैसिया: एक त्वचा की स्थिति जो आमतौर पर चेहरे पर लाल, मोटी त्वचा और फुंसियों का कारण बनती है.

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त्वचा कैंसर: असामान्य त्वचा कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि.

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विटिलिगो: एक त्वचा की स्थिति जो त्वचा के पैच को रंगहीन कर देती है.

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<p style="text-align: justify;">बहुत ज़्यादा केमिकल से भरपूर कॉस्मेटिक्स का इस्तेमाल करने से कई तरह की …

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सर्दियों में कम पानी पीते हैं? शरीर में पानी की कमी होने पर दिखते हैं ये लक्षण
 <p style="text-align: justify;">हर मौसम में लोगों की खान-पान की आदतें बदल जाती हैं. सर्दियां आते ही लोग गर्म खाना खाने लगते हैं. चाय-कॉफी का सेवन ज्यादा करने लगते हैं और पानी कम पीने लगते हैं. ठंड के मौसम की वजह से प्यास कम लगती है. यही वजह है कि लोग अपनी लिक्विड डाइट पर ध्यान नहीं देते. सर्दियों में प्यास कम लगने का मतलब ये नहीं है कि शरीर को पानी की जरूरत नहीं है. शरीर को सर्दियों में भी पानी की उतनी ही जरूरत होती है।. कम पानी पीने से आप डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकते हैं. अगर आप कम पानी पी रहे हैं तो शरीर में ये लक्षण दिखाई देते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सिर दर्द:</strong> अगर आपको सिर में भारीपन या दर्द महसूस हो रहा है, तो समझ लीजिए कि आप कम पानी पी रहे हैं. शरीर में पानी की कमी से लगातार सिर दर्द होता है. शरीर में पानी की कमी से दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, शरीर में पानी की कमी से सोचने-समझने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>सूखी त्वचा:</strong> सर्दियों में कम पानी पीने का एक और लक्षण त्वचा में रूखापन बढ़ना है. सर्दियों में त्वचा का रूखा होना एक आम बात है, लेकिन अगर ऐसा अक्सर हो रहा है और त्वचा पर पपड़ी जम रही है, तो यह पानी की कमी का कारण हो सकता है. जो लोग लंबे समय से कम पानी पीते हैं, उनकी त्वचा रूखी हो सकती है. सर्दियों में यह समस्या और बढ़ जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>पेशाब का बहुत पीला होना:</strong> अगर पेशाब का रंग बहुत पीला है. पेशाब कम आ रहा है. पेशाब करने के बाद जलन हो रही है, तो समझ लीजिए कि शरीर में पानी की कमी है. कम पानी पीने से तुरंत पेशाब पर असर पड़ता है. शरीर में पानी की कमी से पेशाब से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. अगर पेशाब का रंग गहरा पीला है, तो आपको तुरंत समझ जाना चाहिए कि आप कम पानी पी रहे हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="अक्सर रहता है सिरदर्द तो हो जाएं सावधान, हो सकती है ये खतरनाक बीमारी" href="https://ift.tt/V4G9N5n" target="_self">अक्सर रहता है सिरदर्द तो हो जाएं सावधान, हो सकती है ये खतरनाक बीमारी</a></strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>मुंह का सूखना:</strong> अगर आपके होंठ बहुत ज़्यादा फट रहे हैं, बार-बार सूख रहे हैं या फिर गला सूख रहा है, तो आप पानी की कमी से जूझ रहे हैं. अगर आपको मुंह में सूखापन महसूस हो, तो समझ लें कि शरीर में पानी की कमी हो रही है. शुष्क मुंह का मतलब है कि लार ग्रंथियों में पानी की कमी के कारण सही मात्रा में लार नहीं बन पा रही है. अगर आपको ऐसे लक्षण दिखें, तो ज़्यादा पानी पीना शुरू कर दें.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="सर्दियों में इस तरह से खाएं प्रोबायटिक्स चीजें और हरी पत्तेदार सब्जियां, कब्ज से 2 दिन में मिलेगी राहत" href="https://ift.tt/Xa9TonL" target="_self">सर्दियों में इस तरह से खाएं प्रोबायटिक्स चीजें और हरी पत्तेदार सब्जियां, कब्ज से 2 दिन में मिलेगी राहत</a></strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong> दिल में भारीपन:</strong> लंबे समय तक शरीर में पानी की कमी होने से खून की मात्रा पर भी असर पड़ता है. ऐसे में दिल को खून की आपूर्ति करने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इससे दिल पर ज़ोर पड़ता है और भारीपन महसूस होता है. कई बार चलते समय दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>ये भी पढ़ें: <a title="सर्दियों में खजूर खाने से मिलते हैं कमाल के हेल्थ बेनिफिट्स, जानें एक दिन में कब और कितना खाना चाहिए" href="https://ift.tt/T0qrAbP" target="_self">सर्दियों में खजूर खाने से मिलते हैं कमाल के हेल्थ बेनिफिट्स, जानें एक दिन में कब और कितना खाना चाहिए</a></strong></p>
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 कच्चा दूध ज्यादा अच्छा होता है या पॉश्चराइज, सेहत के लिए कौन-सा बेहतर?

सर्दियों में कम पानी पीते हैं? शरीर में पानी की कमी होने पर दिखते हैं ये लक्षण

हर मौसम में लोगों की खान-पान की आदतें बदल जाती हैं. सर्दियां आते ही लोग गर्म खाना खाने लगते हैं. चाय-कॉफी का सेवन ज्यादा करने लगते हैं और पानी कम पीने लगते हैं. ठंड के मौसम की वजह से प्यास कम लगती है. यही वजह है कि लोग अपनी लिक्विड डाइट पर ध्यान नहीं देते. सर्दियों में प्यास कम लगने का मतलब ये नहीं है कि शरीर को पानी की जरूरत नहीं है. शरीर को सर्दियों में भी पानी की उतनी ही जरूरत होती है।. कम पानी पीने से आप डिहाइड्रेशन का शिकार हो सकते हैं. अगर आप कम पानी पी रहे हैं तो शरीर में ये लक्षण दिखाई देते हैं.

सिर दर्द: अगर आपको सिर में भारीपन या दर्द महसूस हो रहा है, तो समझ लीजिए कि आप कम पानी पी रहे हैं. शरीर में पानी की कमी से लगातार सिर दर्द होता है. शरीर में पानी की कमी से दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ने लगती हैं. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, शरीर में पानी की कमी से सोचने-समझने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

सूखी त्वचा: सर्दियों में कम पानी पीने का एक और लक्षण त्वचा में रूखापन बढ़ना है. सर्दियों में त्वचा का रूखा होना एक आम बात है, लेकिन अगर ऐसा अक्सर हो रहा है और त्वचा पर पपड़ी जम रही है, तो यह पानी की कमी का कारण हो सकता है. जो लोग लंबे समय से कम पानी पीते हैं, उनकी त्वचा रूखी हो सकती है. सर्दियों में यह समस्या और बढ़ जाती है.

पेशाब का बहुत पीला होना: अगर पेशाब का रंग बहुत पीला है. पेशाब कम आ रहा है. पेशाब करने के बाद जलन हो रही है, तो समझ लीजिए कि शरीर में पानी की कमी है. कम पानी पीने से तुरंत पेशाब पर असर पड़ता है. शरीर में पानी की कमी से पेशाब से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं. अगर पेशाब का रंग गहरा पीला है, तो आपको तुरंत समझ जाना चाहिए कि आप कम पानी पी रहे हैं.

ये भी पढ़ें: अक्सर रहता है सिरदर्द तो हो जाएं सावधान, हो सकती है ये खतरनाक बीमारी

मुंह का सूखना: अगर आपके होंठ बहुत ज़्यादा फट रहे हैं, बार-बार सूख रहे हैं या फिर गला सूख रहा है, तो आप पानी की कमी से जूझ रहे हैं. अगर आपको मुंह में सूखापन महसूस हो, तो समझ लें कि शरीर में पानी की कमी हो रही है. शुष्क मुंह का मतलब है कि लार ग्रंथियों में पानी की कमी के कारण सही मात्रा में लार नहीं बन पा रही है. अगर आपको ऐसे लक्षण दिखें, तो ज़्यादा पानी पीना शुरू कर दें.

ये भी पढ़ें: सर्दियों में इस तरह से खाएं प्रोबायटिक्स चीजें और हरी पत्तेदार सब्जियां, कब्ज से 2 दिन में मिलेगी राहत

 दिल में भारीपन: लंबे समय तक शरीर में पानी की कमी होने से खून की मात्रा पर भी असर पड़ता है. ऐसे में दिल को खून की आपूर्ति करने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इससे दिल पर ज़ोर पड़ता है और भारीपन महसूस होता है. कई बार चलते समय दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: सर्दियों में खजूर खाने से मिलते हैं कमाल के हेल्थ बेनिफिट्स, जानें एक दिन में कब और कितना खाना चाहिए

https://ift.tt/gfZNsqx कच्चा दूध ज्यादा अच्छा होता है या पॉश्चराइज, सेहत के लिए कौन-सा बेहतर?

<p style="text-align: justify;">हर मौसम में लोगों की खान-पान की आदतें बदल जाती हैं. सर्दियां आते ही लोग…

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सर्दियों में खजूर खाने से मिलते हैं कमाल के हेल्थ बेनिफिट्स, जानें एक दिन में कब और कितना खाना चाहिए
 <p>सर्दियों में सेहत को लेकर थोड़ी सी भी लापरवाही आपको बीमार कर सकती है. इस मौसम में खुद को स्वस्थ और फिट रखने के लिए अपनी डाइट में खजूर को शामिल करें. इस ड्राई फ्रूट को सर्दियों का ड्राई फ्रूट इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं. इसे खाने से रक्त संचार बढ़ता है और दिल और दिमाग को भी ताकत मिलती है. तो आइए जानते हैं इस मौसम में इसे खाने से सेहत को क्या-क्या फायदे होते हैं और एक दिन में इसे कितना खाना चाहिए.</p>
<p><strong>खजूर इन समस्याओं में फायदेमंद है:</strong></p>
<p><strong>गट हेल्थ:</strong> खजूर खाने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है क्योंकि इसमें घुलनशील फाइबर भरपूर मात्रा में होता है और इसमें अमीनो एसिड भी पाया जाता है.</p>
<p><strong>खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है:</strong> खजूर में पोटैशियम की मात्रा अधिक और सोडियम की मात्रा कम होने के कारण यह शरीर के तंत्रिका तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है. खजूर शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखकर आपके दिल की सेहत की भी रक्षा करता है.</p>
<p><strong>एनर्जी से भरपूर:</strong> खजूर में शरीर को ऊर्जा प्रदान करने की अद्भुत क्षमता होती है. इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज जैसी प्राकृतिक शर्कराएं भरपूर मात्रा में होती हैं. अगर आप खजूर को दूध के साथ लेंगे तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा.</p>
<p><strong>यह भी पढ़ें : </strong><a href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/health-tips-astronaut-sunita-williams-weight-continuously-decreasing-in-space-know-how-dangerous-it-is-2837508/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp"><strong>स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक</strong></a></p>
<p><strong> गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद:</strong> खजूर गर्भवती महिलाओं को होने वाली कई तरह की समस्याओं से राहत दिलाता है. यह रक्तस्राव को कम करता है.</p>
<p><strong>यह भी पढ़ें: <a title="सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा" href="https://ift.tt/vkZeU7A" target="_blank" rel="noopener">सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा</a></strong></p>
<p><strong> वजन घटाएं:</strong> अगर आप वजन बढ़ने से परेशान हैं तो खजूर खाएं, क्योंकि इसमें मौजूद तत्व वजन बढ़ाने में मददगार होते हैं. शराब पीने से शरीर को होने वाले नुकसान से बचने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.</p>
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<p dir="ltr"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
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<p dir="ltr"><strong>ये भी पढ़ें: </strong><a href="https://ift.tt/Z4Y203K Oven Day 2024 : क्या वाकई माइक्रोवेव बना सकता है बीमार, जानें</strong></a></p>
<p> इसका सेवन कब और कैसे करें? रात को खजूर को पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. इन्हें खाली पेट खाने से आप पूरे दिन ऊर्जावान महसूस करेंगे। आप एक दिन में 3 से 4 खजूर खा सकते हैं.</p>
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सर्दियों में खजूर खाने से मिलते हैं कमाल के हेल्थ बेनिफिट्स, जानें एक दिन में कब और कितना खाना चाहिए

सर्दियों में सेहत को लेकर थोड़ी सी भी लापरवाही आपको बीमार कर सकती है. इस मौसम में खुद को स्वस्थ और फिट रखने के लिए अपनी डाइट में खजूर को शामिल करें. इस ड्राई फ्रूट को सर्दियों का ड्राई फ्रूट इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं. इसे खाने से रक्त संचार बढ़ता है और दिल और दिमाग को भी ताकत मिलती है. तो आइए जानते हैं इस मौसम में इसे खाने से सेहत को क्या-क्या फायदे होते हैं और एक दिन में इसे कितना खाना चाहिए.

खजूर इन समस्याओं में फायदेमंद है:

गट हेल्थ: खजूर खाने से पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है क्योंकि इसमें घुलनशील फाइबर भरपूर मात्रा में होता है और इसमें अमीनो एसिड भी पाया जाता है.

खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है: खजूर में पोटैशियम की मात्रा अधिक और सोडियम की मात्रा कम होने के कारण यह शरीर के तंत्रिका तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होता है. खजूर शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम रखकर आपके दिल की सेहत की भी रक्षा करता है.

एनर्जी से भरपूर: खजूर में शरीर को ऊर्जा प्रदान करने की अद्भुत क्षमता होती है. इसमें ग्लूकोज और सुक्रोज जैसी प्राकृतिक शर्कराएं भरपूर मात्रा में होती हैं. अगर आप खजूर को दूध के साथ लेंगे तो यह आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

 गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद: खजूर गर्भवती महिलाओं को होने वाली कई तरह की समस्याओं से राहत दिलाता है. यह रक्तस्राव को कम करता है.

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

 वजन घटाएं: अगर आप वजन बढ़ने से परेशान हैं तो खजूर खाएं, क्योंकि इसमें मौजूद तत्व वजन बढ़ाने में मददगार होते हैं. शराब पीने से शरीर को होने वाले नुकसान से बचने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

 गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद: खजूर गर्भवती महिलाओं को होने वाली कई तरह की समस्याओं से राहत दिलाता है. यह रक्तस्राव को कम करता है.

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

 वजन घटाएं: अगर आप वजन बढ़ने से परेशान हैं तो खजूर खाएं, क्योंकि इसमें मौजूद तत्व वजन बढ़ाने में मददगार होते हैं. शराब पीने से शरीर को होने वाले नुकसान से बचने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: दिल्ली-एनसीआर के लोग इन दिनों दोहरी मार झेल रहे हैं. एक तो कड़ाके की ठंड और ऊपर से प्रदूषण का जहर, दिल्ली एक बार फिर गैस चैंबर बन गई है जहां एक्यूआई 450 से ऊपर है. ऐसे में लोगों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है. सर्दी के कारण सेहत खराब हो रही है और ठंड के साथ प्रदूषण का मिलन और भी खतरनाक हो गया है. ताजा शोध बताते हैं कि प्रदूषण के कारण नसों में खून के थक्के जमने का खतरा 100 फीसदी बढ़ जाता है.

नसों में खून के थक्के जमने का मतलब है हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक. इसीलिए डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर साल ब्रेन स्ट्रोक से होने वाली 50 लाख मौतों के लिए भी प्रदूषण काफी हद तक जिम्मेदार है. इतना ही नहीं लगातार प्रदूषण में सांस लेने से मानसिक रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है. जिन लोगों को शुगर-बीपी की समस्या है या कोमॉर्बिड हैं, उन्हें ज्यादा अलर्ट रहना होगा हालात को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप का यह खतरनाक मेल हृदय रोग के खतरे को कई गुना बढ़ा देग.। ऐसे में आइए स्वामी रामदेव से जानते हैं कि हम ठंड और प्रदूषण के असर को कैसे कम कर सकते हैं और साथ ही शुगर और बीपी को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं.

जहरीली हवा से बचें

हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस से फेफड़ों में, फेफड़ों से खून में, खून से पूरे शरीर में और फिर सभी अंगों में पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं। इससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषण से फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है.

एलर्जी का सबसे बढ़िया इलाज

जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें 100 ग्राम बादाम, 20 ग्राम काली मिर्च और 50 ग्राम चीनी मिलानी चाहिए. अब इस पाउडर का 1 चम्मच 1 गिलास दूध में डालकर उबालें. इस दूध को दिन में कम से कम एक बार पिएं.

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

फेफड़ों को स्वस्थ बनाने का अचूक उपाय

सर्दी, प्रदूषण और कोहरे के तिहरे हमले से निपटने के लिए रोजाना दूध में कच्ची हल्दी पकाकर पिएं. इस दूध में थोड़ा सा शिलाजीत भी मिला लें. इस दूध को पीने से फेफड़े स्वस्थ रहेंगे और आप सर्दियों में स्वस्थ रहेंगे. इसके अलावा बेसन की रोटी, मुलेठी और भुने चने जरूर खाएं. फेफड़े मजबूत होंगे प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है. फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए श्वासारि क्वाथ पिएं.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

इसके अलावा आप मुलेठी को उबालकर पी सकते हैं. रोजाना मसाला चाय पीना भी फायदेमंद रहेगा. गले की एलर्जी से राहत पाने के उपाय जिन लोगों को गले की एलर्जी की समस्या है उन्हें नमक के पानी से गरारे करने चाहिए. इसके अलावा बादाम के तेल से नस्यम करें. मुलेठी खाने से गले को आराम मिलता है और एलर्जी की समस्या दूर होती है. इसके अलावा सोते समय तलवों पर गर्म सरसों का तेल लगाएं, इससे आराम मिलेगा. साथ ही नाभि में सरसों का तेल डालें. नाक में सरसों का तेल डालने से भी आराम मिलेगा.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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नसों में खून के थक्के जमने का मतलब है हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक. इसीलिए डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर साल ब्रेन स्ट्रोक से होने वाली 50 लाख मौतों के लिए भी प्रदूषण काफी हद तक जिम्मेदार है. इतना ही नहीं लगातार प्रदूषण में सांस लेने से मानसिक रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है. जिन लोगों को शुगर-बीपी की समस्या है या कोमॉर्बिड हैं, उन्हें ज्यादा अलर्ट रहना होगा हालात को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप का यह खतरनाक मेल हृदय रोग के खतरे को कई गुना बढ़ा देग.। ऐसे में आइए स्वामी रामदेव से जानते हैं कि हम ठंड और प्रदूषण के असर को कैसे कम कर सकते हैं और साथ ही शुगर और बीपी को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं.

जहरीली हवा से बचें

हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस से फेफड़ों में, फेफड़ों से खून में, खून से पूरे शरीर में और फिर सभी अंगों में पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं। इससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषण से फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है.

एलर्जी का सबसे बढ़िया इलाज

जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें 100 ग्राम बादाम, 20 ग्राम काली मिर्च और 50 ग्राम चीनी मिलानी चाहिए. अब इस पाउडर का 1 चम्मच 1 गिलास दूध में डालकर उबालें. इस दूध को दिन में कम से कम एक बार पिएं.

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

फेफड़ों को स्वस्थ बनाने का अचूक उपाय

सर्दी, प्रदूषण और कोहरे के तिहरे हमले से निपटने के लिए रोजाना दूध में कच्ची हल्दी पकाकर पिएं. इस दूध में थोड़ा सा शिलाजीत भी मिला लें. इस दूध को पीने से फेफड़े स्वस्थ रहेंगे और आप सर्दियों में स्वस्थ रहेंगे. इसके अलावा बेसन की रोटी, मुलेठी और भुने चने जरूर खाएं. फेफड़े मजबूत होंगे प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है. फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए श्वासारि क्वाथ पिएं.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

इसके अलावा आप मुलेठी को उबालकर पी सकते हैं. रोजाना मसाला चाय पीना भी फायदेमंद रहेगा. गले की एलर्जी से राहत पाने के उपाय जिन लोगों को गले की एलर्जी की समस्या है उन्हें नमक के पानी से गरारे करने चाहिए. इसके अलावा बादाम के तेल से नस्यम करें. मुलेठी खाने से गले को आराम मिलता है और एलर्जी की समस्या दूर होती है. इसके अलावा सोते समय तलवों पर गर्म सरसों का तेल लगाएं, इससे आराम मिलेगा. साथ ही नाभि में सरसों का तेल डालें. नाक में सरसों का तेल डालने से भी आराम मिलेगा.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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नसों में खून के थक्के जमने का मतलब है हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक. इसीलिए डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर साल ब्रेन स्ट्रोक से होने वाली 50 लाख मौतों के लिए भी प्रदूषण काफी हद तक जिम्मेदार है. इतना ही नहीं लगातार प्रदूषण में सांस लेने से मानसिक रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है. जिन लोगों को शुगर-बीपी की समस्या है या कोमॉर्बिड हैं, उन्हें ज्यादा अलर्ट रहना होगा हालात को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप का यह खतरनाक मेल हृदय रोग के खतरे को कई गुना बढ़ा देग.। ऐसे में आइए स्वामी रामदेव से जानते हैं कि हम ठंड और प्रदूषण के असर को कैसे कम कर सकते हैं और साथ ही शुगर और बीपी को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं.

जहरीली हवा से बचें

हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस से फेफड़ों में, फेफड़ों से खून में, खून से पूरे शरीर में और फिर सभी अंगों में पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं। इससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषण से फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है.

एलर्जी का सबसे बढ़िया इलाज

जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें 100 ग्राम बादाम, 20 ग्राम काली मिर्च और 50 ग्राम चीनी मिलानी चाहिए. अब इस पाउडर का 1 चम्मच 1 गिलास दूध में डालकर उबालें. इस दूध को दिन में कम से कम एक बार पिएं.

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

फेफड़ों को स्वस्थ बनाने का अचूक उपाय

सर्दी, प्रदूषण और कोहरे के तिहरे हमले से निपटने के लिए रोजाना दूध में कच्ची हल्दी पकाकर पिएं. इस दूध में थोड़ा सा शिलाजीत भी मिला लें. इस दूध को पीने से फेफड़े स्वस्थ रहेंगे और आप सर्दियों में स्वस्थ रहेंगे. इसके अलावा बेसन की रोटी, मुलेठी और भुने चने जरूर खाएं. फेफड़े मजबूत होंगे प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है. फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए श्वासारि क्वाथ पिएं.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

इसके अलावा आप मुलेठी को उबालकर पी सकते हैं. रोजाना मसाला चाय पीना भी फायदेमंद रहेगा. गले की एलर्जी से राहत पाने के उपाय जिन लोगों को गले की एलर्जी की समस्या है उन्हें नमक के पानी से गरारे करने चाहिए. इसके अलावा बादाम के तेल से नस्यम करें. मुलेठी खाने से गले को आराम मिलता है और एलर्जी की समस्या दूर होती है. इसके अलावा सोते समय तलवों पर गर्म सरसों का तेल लगाएं, इससे आराम मिलेगा. साथ ही नाभि में सरसों का तेल डालें. नाक में सरसों का तेल डालने से भी आराम मिलेगा.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: दिल्ली-एनसीआर के लोग इन दिनों दोहरी मार झेल रहे हैं. एक तो कड़ाके की ठंड और ऊपर से प्रदूषण का जहर, दिल्ली एक बार फिर गैस चैंबर बन गई है जहां एक्यूआई 450 से ऊपर है. ऐसे में लोगों को बेहद सावधान रहने की जरूरत है. सर्दी के कारण सेहत खराब हो रही है और ठंड के साथ प्रदूषण का मिलन और भी खतरनाक हो गया है. ताजा शोध बताते हैं कि प्रदूषण के कारण नसों में खून के थक्के जमने का खतरा 100 फीसदी बढ़ जाता है.

नसों में खून के थक्के जमने का मतलब है हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक. इसीलिए डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हर साल ब्रेन स्ट्रोक से होने वाली 50 लाख मौतों के लिए भी प्रदूषण काफी हद तक जिम्मेदार है. इतना ही नहीं लगातार प्रदूषण में सांस लेने से मानसिक रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है. जिन लोगों को शुगर-बीपी की समस्या है या कोमॉर्बिड हैं, उन्हें ज्यादा अलर्ट रहना होगा हालात को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप का यह खतरनाक मेल हृदय रोग के खतरे को कई गुना बढ़ा देग.। ऐसे में आइए स्वामी रामदेव से जानते हैं कि हम ठंड और प्रदूषण के असर को कैसे कम कर सकते हैं और साथ ही शुगर और बीपी को कैसे नियंत्रित कर सकते हैं.

जहरीली हवा से बचें

हवा में मौजूद छोटे-छोटे कण सांस से फेफड़ों में, फेफड़ों से खून में, खून से पूरे शरीर में और फिर सभी अंगों में पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं। इससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. प्रदूषण से फेफड़ों, आंखों और दिमाग पर बुरा असर पड़ता है.

एलर्जी का सबसे बढ़िया इलाज

जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें 100 ग्राम बादाम, 20 ग्राम काली मिर्च और 50 ग्राम चीनी मिलानी चाहिए. अब इस पाउडर का 1 चम्मच 1 गिलास दूध में डालकर उबालें. इस दूध को दिन में कम से कम एक बार पिएं.

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फेफड़ों को स्वस्थ बनाने का अचूक उपाय

सर्दी, प्रदूषण और कोहरे के तिहरे हमले से निपटने के लिए रोजाना दूध में कच्ची हल्दी पकाकर पिएं. इस दूध में थोड़ा सा शिलाजीत भी मिला लें. इस दूध को पीने से फेफड़े स्वस्थ रहेंगे और आप सर्दियों में स्वस्थ रहेंगे. इसके अलावा बेसन की रोटी, मुलेठी और भुने चने जरूर खाएं. फेफड़े मजबूत होंगे प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है. फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए श्वासारि क्वाथ पिएं.

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इसके अलावा आप मुलेठी को उबालकर पी सकते हैं. रोजाना मसाला चाय पीना भी फायदेमंद रहेगा. गले की एलर्जी से राहत पाने के उपाय जिन लोगों को गले की एलर्जी की समस्या है उन्हें नमक के पानी से गरारे करने चाहिए. इसके अलावा बादाम के तेल से नस्यम करें. मुलेठी खाने से गले को आराम मिलता है और एलर्जी की समस्या दूर होती है. इसके अलावा सोते समय तलवों पर गर्म सरसों का तेल लगाएं, इससे आराम मिलेगा. साथ ही नाभि में सरसों का तेल डालें. नाक में सरसों का तेल डालने से भी आराम मिलेगा.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: Skin Cancer : मुफ्त में मिल रही सूरज की रोशनी यानी धूप को अगर यूं ही बिना मतलब ले रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. जी हां, धूप सेहत के लिए जितना फायदेमंद है, उतना ही हानिकारक भी है. सनलाइट में बैठने से जहां विटामिन-डी शरीर को मिलता है.

इससे हड्डियां मजबूत होती है और सेहत को कई फायदे मिलते हैं. वहीं, तेज धूप स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. ज्यादा तेज धूप में बैठने से स्किन कैंसर हो सकता है. हॉलीवुड एक्टर जेसन चेम्बर्स (Jason Chambers) में स्किन कैंसर का खुलासा होने के बाद एक बार फिर धूप और स्किन कैंसर को लेकर चर्चा बढ़ गई है.

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हॉलीवुड एक्टर को स्किन कैंसर

जेसन चेम्बर्स ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर बताया कि उन्हें एक तरह का स्किन कैंसर हो गया है. उन्होंने लिखा- 'मैं एक ऐसा इंसान हूं, जिसने पूरी ज़िंदगी धूप में बिताया. बचपन में धूप में खलता और समुद्र में काम करता था. मुझे कभी पता ही नहीं चला कि मेरे ऊपर आ रही सूरज की किरणें किसी तरह का नुकसान पहुंचा सकती हैं. मुझे धूप में रहना पसंद है, क्योंकि मैं सेहत के लिए इसके फायदे (Sunlight Benefits) जानता हूं.  लेकिन हर चीज की एक लिमिट होती है, धूप लेने में भी संतुलन रखना चाहिए. वरना ये स्किन कैंसर का कारण बन सकता है.'

स्किन पर दिखने लगा था लक्षण

जेसन चेम्बर्स ने बताया कि कुछ समय पहले उनकी स्किन पर एक धब्बा नजर आया, जिसे मामूली समझकर उन्होंने इग्नोर कर दिया लेकिन 6 महीने बाद यही धब्बा स्किन कैंसर (Skin Cancer) में बदल गया. अब डॉक्टरों ने उन्हें जल्द से जल्द इसका इलाज कराने को कहा है. एक्टर की बायोप्सी (Biopsy) हुई है और वह अपनी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. जेसन चेम्बर्स ने अपने फैंस से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जो गलती उन्होंने कि, उसे लोग न करें. अच्छे और केमिकल-फ्री सनस्क्रिन का इस्तेमाल करें, ताकि धूप के नुकसान से बच सकें.

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धूप से स्किन कैंसर का खतरा कैसे

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब कोई सूरज की अल्ट्रावॉयलेट (UV) किरणों के संपर्क में आता है, तब स्किन की सेल्स को गंभीर तरह से नुकसान पहुंचता है, इससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ता है. स्किन कैंसर कई तरह के होते हैं. इनमें बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और मेलेनोमा स्किन कैंसर की चपेट में सबसे ज्यादा लोग आते हैं. बेसल सेल कार्सिनोमा धूप में रहने से चेहरे, हाथ और गर्दन पर भी हो सकता है. वहीं, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कान, होंठ और हाथ में हो सकता है. ऐसे में हर मौसम में धूप से अपनी स्किन की सुरक्षा करनी चाहिए. ज्यादा तेज धूप में जाने से बचना चाहिए. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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इससे हड्डियां मजबूत होती है और सेहत को कई फायदे मिलते हैं. वहीं, तेज धूप स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. ज्यादा तेज धूप में बैठने से स्किन कैंसर हो सकता है. हॉलीवुड एक्टर जेसन चेम्बर्स (Jason Chambers) में स्किन कैंसर का खुलासा होने के बाद एक बार फिर धूप और स्किन कैंसर को लेकर चर्चा बढ़ गई है.

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हॉलीवुड एक्टर को स्किन कैंसर

जेसन चेम्बर्स ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर बताया कि उन्हें एक तरह का स्किन कैंसर हो गया है. उन्होंने लिखा- 'मैं एक ऐसा इंसान हूं, जिसने पूरी ज़िंदगी धूप में बिताया. बचपन में धूप में खलता और समुद्र में काम करता था. मुझे कभी पता ही नहीं चला कि मेरे ऊपर आ रही सूरज की किरणें किसी तरह का नुकसान पहुंचा सकती हैं. मुझे धूप में रहना पसंद है, क्योंकि मैं सेहत के लिए इसके फायदे (Sunlight Benefits) जानता हूं.  लेकिन हर चीज की एक लिमिट होती है, धूप लेने में भी संतुलन रखना चाहिए. वरना ये स्किन कैंसर का कारण बन सकता है.'

स्किन पर दिखने लगा था लक्षण

जेसन चेम्बर्स ने बताया कि कुछ समय पहले उनकी स्किन पर एक धब्बा नजर आया, जिसे मामूली समझकर उन्होंने इग्नोर कर दिया लेकिन 6 महीने बाद यही धब्बा स्किन कैंसर (Skin Cancer) में बदल गया. अब डॉक्टरों ने उन्हें जल्द से जल्द इसका इलाज कराने को कहा है. एक्टर की बायोप्सी (Biopsy) हुई है और वह अपनी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. जेसन चेम्बर्स ने अपने फैंस से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जो गलती उन्होंने कि, उसे लोग न करें. अच्छे और केमिकल-फ्री सनस्क्रिन का इस्तेमाल करें, ताकि धूप के नुकसान से बच सकें.

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धूप से स्किन कैंसर का खतरा कैसे

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब कोई सूरज की अल्ट्रावॉयलेट (UV) किरणों के संपर्क में आता है, तब स्किन की सेल्स को गंभीर तरह से नुकसान पहुंचता है, इससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ता है. स्किन कैंसर कई तरह के होते हैं. इनमें बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और मेलेनोमा स्किन कैंसर की चपेट में सबसे ज्यादा लोग आते हैं. बेसल सेल कार्सिनोमा धूप में रहने से चेहरे, हाथ और गर्दन पर भी हो सकता है. वहीं, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कान, होंठ और हाथ में हो सकता है. ऐसे में हर मौसम में धूप से अपनी स्किन की सुरक्षा करनी चाहिए. ज्यादा तेज धूप में जाने से बचना चाहिए. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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इससे हड्डियां मजबूत होती है और सेहत को कई फायदे मिलते हैं. वहीं, तेज धूप स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. ज्यादा तेज धूप में बैठने से स्किन कैंसर हो सकता है. हॉलीवुड एक्टर जेसन चेम्बर्स (Jason Chambers) में स्किन कैंसर का खुलासा होने के बाद एक बार फिर धूप और स्किन कैंसर को लेकर चर्चा बढ़ गई है.

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हॉलीवुड एक्टर को स्किन कैंसर

जेसन चेम्बर्स ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर बताया कि उन्हें एक तरह का स्किन कैंसर हो गया है. उन्होंने लिखा- 'मैं एक ऐसा इंसान हूं, जिसने पूरी ज़िंदगी धूप में बिताया. बचपन में धूप में खलता और समुद्र में काम करता था. मुझे कभी पता ही नहीं चला कि मेरे ऊपर आ रही सूरज की किरणें किसी तरह का नुकसान पहुंचा सकती हैं. मुझे धूप में रहना पसंद है, क्योंकि मैं सेहत के लिए इसके फायदे (Sunlight Benefits) जानता हूं.  लेकिन हर चीज की एक लिमिट होती है, धूप लेने में भी संतुलन रखना चाहिए. वरना ये स्किन कैंसर का कारण बन सकता है.'

स्किन पर दिखने लगा था लक्षण

जेसन चेम्बर्स ने बताया कि कुछ समय पहले उनकी स्किन पर एक धब्बा नजर आया, जिसे मामूली समझकर उन्होंने इग्नोर कर दिया लेकिन 6 महीने बाद यही धब्बा स्किन कैंसर (Skin Cancer) में बदल गया. अब डॉक्टरों ने उन्हें जल्द से जल्द इसका इलाज कराने को कहा है. एक्टर की बायोप्सी (Biopsy) हुई है और वह अपनी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. जेसन चेम्बर्स ने अपने फैंस से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जो गलती उन्होंने कि, उसे लोग न करें. अच्छे और केमिकल-फ्री सनस्क्रिन का इस्तेमाल करें, ताकि धूप के नुकसान से बच सकें.

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धूप से स्किन कैंसर का खतरा कैसे

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब कोई सूरज की अल्ट्रावॉयलेट (UV) किरणों के संपर्क में आता है, तब स्किन की सेल्स को गंभीर तरह से नुकसान पहुंचता है, इससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ता है. स्किन कैंसर कई तरह के होते हैं. इनमें बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और मेलेनोमा स्किन कैंसर की चपेट में सबसे ज्यादा लोग आते हैं. बेसल सेल कार्सिनोमा धूप में रहने से चेहरे, हाथ और गर्दन पर भी हो सकता है. वहीं, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कान, होंठ और हाथ में हो सकता है. ऐसे में हर मौसम में धूप से अपनी स्किन की सुरक्षा करनी चाहिए. ज्यादा तेज धूप में जाने से बचना चाहिए. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: Skin Cancer : मुफ्त में मिल रही सूरज की रोशनी यानी धूप को अगर यूं ही बिना मतलब ले रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. जी हां, धूप सेहत के लिए जितना फायदेमंद है, उतना ही हानिकारक भी है. सनलाइट में बैठने से जहां विटामिन-डी शरीर को मिलता है.

इससे हड्डियां मजबूत होती है और सेहत को कई फायदे मिलते हैं. वहीं, तेज धूप स्किन को नुकसान पहुंचा सकता है. ज्यादा तेज धूप में बैठने से स्किन कैंसर हो सकता है. हॉलीवुड एक्टर जेसन चेम्बर्स (Jason Chambers) में स्किन कैंसर का खुलासा होने के बाद एक बार फिर धूप और स्किन कैंसर को लेकर चर्चा बढ़ गई है.

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

हॉलीवुड एक्टर को स्किन कैंसर

जेसन चेम्बर्स ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर बताया कि उन्हें एक तरह का स्किन कैंसर हो गया है. उन्होंने लिखा- 'मैं एक ऐसा इंसान हूं, जिसने पूरी ज़िंदगी धूप में बिताया. बचपन में धूप में खलता और समुद्र में काम करता था. मुझे कभी पता ही नहीं चला कि मेरे ऊपर आ रही सूरज की किरणें किसी तरह का नुकसान पहुंचा सकती हैं. मुझे धूप में रहना पसंद है, क्योंकि मैं सेहत के लिए इसके फायदे (Sunlight Benefits) जानता हूं.  लेकिन हर चीज की एक लिमिट होती है, धूप लेने में भी संतुलन रखना चाहिए. वरना ये स्किन कैंसर का कारण बन सकता है.'

स्किन पर दिखने लगा था लक्षण

जेसन चेम्बर्स ने बताया कि कुछ समय पहले उनकी स्किन पर एक धब्बा नजर आया, जिसे मामूली समझकर उन्होंने इग्नोर कर दिया लेकिन 6 महीने बाद यही धब्बा स्किन कैंसर (Skin Cancer) में बदल गया. अब डॉक्टरों ने उन्हें जल्द से जल्द इसका इलाज कराने को कहा है. एक्टर की बायोप्सी (Biopsy) हुई है और वह अपनी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. जेसन चेम्बर्स ने अपने फैंस से सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जो गलती उन्होंने कि, उसे लोग न करें. अच्छे और केमिकल-फ्री सनस्क्रिन का इस्तेमाल करें, ताकि धूप के नुकसान से बच सकें.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

धूप से स्किन कैंसर का खतरा कैसे

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब कोई सूरज की अल्ट्रावॉयलेट (UV) किरणों के संपर्क में आता है, तब स्किन की सेल्स को गंभीर तरह से नुकसान पहुंचता है, इससे स्किन कैंसर का खतरा बढ़ता है. स्किन कैंसर कई तरह के होते हैं. इनमें बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और मेलेनोमा स्किन कैंसर की चपेट में सबसे ज्यादा लोग आते हैं. बेसल सेल कार्सिनोमा धूप में रहने से चेहरे, हाथ और गर्दन पर भी हो सकता है. वहीं, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कान, होंठ और हाथ में हो सकता है. ऐसे में हर मौसम में धूप से अपनी स्किन की सुरक्षा करनी चाहिए. ज्यादा तेज धूप में जाने से बचना चाहिए. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: अगर आपके किचन और सिंक में रातभर गंदे बर्तन पड़े रहते हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि इससे खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं. गंदे बर्तनों को लंबे समय तक बिना धुले छोड़ने से बर्तनों में बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं जो धोने के बाद भी साफ नहीं होते. खैर, 'गंदे बर्तन' जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं. क्या आपके घर में भी सुबह-सुबह गंदे बर्तन ठंड की वजह से धुल रहे हैं? अगर हां, तो सावधान हो जाइए!

किचन में देर तक गंदे बर्तन रहने से बैक्टीरिया का खतरा बढ़ता है

किचन में लंबे समय तक रखे गंदे बर्तनों पर साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोली बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जो बर्तन साफ ​​होने के बाद भी खत्म नहीं होते. नतीजा ये होता है कि जब ऐसे बर्तनों में खाना परोसा जाता है. तो ये खाने के जरिए पेट में प्रवेश कर जाते हैं. इनके नाम जितने अजीब लगते हैं. इनका काम भी उतना ही खतरनाक है. जो लोग पहले से बीमार हैं, जिनकी इम्युनिटी कमजोर है या जो महिलाएं मां बनने वाली हैं. वो इन बैक्टीरिया के हमले से बीमार पड़ जाती हैं. उल्टी, पेट दर्द, डायरिया और अपच ये सब इसी की वजह से होने वाली समस्याएं हैं. स्थिति गंभीर होने पर गर्भपात और किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

किचन, बर्तन और सिंक को साफ रखने में आलस्य न करें. क्योंकि आपके आलस के कारण मामला गंभीर हो सकता है. इतना ही नहीं, यह भी समझें. फ्रिज में लंबे समय तक रखे खाद्य पदार्थ भी बीमारी की जड़ हैं. अगर बात किचन और किडनी की हो रही है, तो सिर्फ स्टोरेज का तरीका ही नहीं . सर्दियों में गलत खान-पान भी हमें बीमार कर रहा है. ज्यादा नमक और ज्यादा चीनी भी किडनी को बीमार कर रही है. इससे हाई बीपी और शुगर की समस्या शुरू हो जाती है. अगर बीपी हाई है तो किडनी बीमार है, अगर खून में ग्लूकोज ज्यादा है तो किडनी के बारीक फिल्टर खराब होने लगते हैं. नतीजा किडनी फेलियर होता है . में स्वामी रामदेव से जानिए किडनी को कैसे स्वस्थ रखें. बैक्टीरिया का खतरा

कमजोर इम्युनिटी

उल्टी और पेट दर्द

डायरिया की समस्या

किडनी फेल होने का खतरा

गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का खतरा

किडनी पर असर
क्रिएटिनिन का उच्च स्तर

किडनी स्टोन

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

यूटीआई संक्रमण

पॉलीसिस्टिक किडनी

प्रोटीन लीकेज

किडनी के दो दुश्म

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किचन में देर तक गंदे बर्तन रहने से बैक्टीरिया का खतरा बढ़ता है

किचन में लंबे समय तक रखे गंदे बर्तनों पर साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोली बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जो बर्तन साफ ​​होने के बाद भी खत्म नहीं होते. नतीजा ये होता है कि जब ऐसे बर्तनों में खाना परोसा जाता है. तो ये खाने के जरिए पेट में प्रवेश कर जाते हैं. इनके नाम जितने अजीब लगते हैं. इनका काम भी उतना ही खतरनाक है. जो लोग पहले से बीमार हैं, जिनकी इम्युनिटी कमजोर है या जो महिलाएं मां बनने वाली हैं. वो इन बैक्टीरिया के हमले से बीमार पड़ जाती हैं. उल्टी, पेट दर्द, डायरिया और अपच ये सब इसी की वजह से होने वाली समस्याएं हैं. स्थिति गंभीर होने पर गर्भपात और किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

किचन, बर्तन और सिंक को साफ रखने में आलस्य न करें. क्योंकि आपके आलस के कारण मामला गंभीर हो सकता है. इतना ही नहीं, यह भी समझें. फ्रिज में लंबे समय तक रखे खाद्य पदार्थ भी बीमारी की जड़ हैं. अगर बात किचन और किडनी की हो रही है, तो सिर्फ स्टोरेज का तरीका ही नहीं . सर्दियों में गलत खान-पान भी हमें बीमार कर रहा है. ज्यादा नमक और ज्यादा चीनी भी किडनी को बीमार कर रही है. इससे हाई बीपी और शुगर की समस्या शुरू हो जाती है. अगर बीपी हाई है तो किडनी बीमार है, अगर खून में ग्लूकोज ज्यादा है तो किडनी के बारीक फिल्टर खराब होने लगते हैं. नतीजा किडनी फेलियर होता है . में स्वामी रामदेव से जानिए किडनी को कैसे स्वस्थ रखें. बैक्टीरिया का खतरा

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किचन, बर्तन और सिंक को साफ रखने में आलस्य न करें. क्योंकि आपके आलस के कारण मामला गंभीर हो सकता है. इतना ही नहीं, यह भी समझें. फ्रिज में लंबे समय तक रखे खाद्य पदार्थ भी बीमारी की जड़ हैं. अगर बात किचन और किडनी की हो रही है, तो सिर्फ स्टोरेज का तरीका ही नहीं . सर्दियों में गलत खान-पान भी हमें बीमार कर रहा है. ज्यादा नमक और ज्यादा चीनी भी किडनी को बीमार कर रही है. इससे हाई बीपी और शुगर की समस्या शुरू हो जाती है. अगर बीपी हाई है तो किडनी बीमार है, अगर खून में ग्लूकोज ज्यादा है तो किडनी के बारीक फिल्टर खराब होने लगते हैं. नतीजा किडनी फेलियर होता है . में स्वामी रामदेव से जानिए किडनी को कैसे स्वस्थ रखें. बैक्टीरिया का खतरा

कमजोर इम्युनिटी

उल्टी और पेट दर्द

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प्रोटीन लीकेज

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किचन में देर तक गंदे बर्तन रहने से बैक्टीरिया का खतरा बढ़ता है

किचन में लंबे समय तक रखे गंदे बर्तनों पर साल्मोनेला, लिस्टेरिया और ई-कोली बैक्टीरिया पैदा होते हैं, जो बर्तन साफ ​​होने के बाद भी खत्म नहीं होते. नतीजा ये होता है कि जब ऐसे बर्तनों में खाना परोसा जाता है. तो ये खाने के जरिए पेट में प्रवेश कर जाते हैं. इनके नाम जितने अजीब लगते हैं. इनका काम भी उतना ही खतरनाक है. जो लोग पहले से बीमार हैं, जिनकी इम्युनिटी कमजोर है या जो महिलाएं मां बनने वाली हैं. वो इन बैक्टीरिया के हमले से बीमार पड़ जाती हैं. उल्टी, पेट दर्द, डायरिया और अपच ये सब इसी की वजह से होने वाली समस्याएं हैं. स्थिति गंभीर होने पर गर्भपात और किडनी फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

किचन, बर्तन और सिंक को साफ रखने में आलस्य न करें. क्योंकि आपके आलस के कारण मामला गंभीर हो सकता है. इतना ही नहीं, यह भी समझें. फ्रिज में लंबे समय तक रखे खाद्य पदार्थ भी बीमारी की जड़ हैं. अगर बात किचन और किडनी की हो रही है, तो सिर्फ स्टोरेज का तरीका ही नहीं . सर्दियों में गलत खान-पान भी हमें बीमार कर रहा है. ज्यादा नमक और ज्यादा चीनी भी किडनी को बीमार कर रही है. इससे हाई बीपी और शुगर की समस्या शुरू हो जाती है. अगर बीपी हाई है तो किडनी बीमार है, अगर खून में ग्लूकोज ज्यादा है तो किडनी के बारीक फिल्टर खराब होने लगते हैं. नतीजा किडनी फेलियर होता है . में स्वामी रामदेव से जानिए किडनी को कैसे स्वस्थ रखें. बैक्टीरिया का खतरा

कमजोर इम्युनिटी

उल्टी और पेट दर्द

डायरिया की समस्या

किडनी फेल होने का खतरा

गर्भवती महिलाओं में गर्भपात का खतरा

किडनी पर असर
क्रिएटिनिन का उच्च स्तर

किडनी स्टोन

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यूटीआई संक्रमण

पॉलीसिस्टिक किडनी

प्रोटीन लीकेज

किडनी के दो दुश्म

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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DInga Dinga Mysterious Disease : देश दुनिया में अजीबोगरीब बीमारियां और वायरस फैल रहे हैं, खासकर कोरोना महामारी (Covid-19) के साथ ही कुछ ऐसे वायरस सामने आए हैं जिसने लोगों को हिला कर रख दिया. कुछ इसी तरह से अफ्रीका के युगांडा में ऐसी बीमारी सामने आई है, जिसमें लोग नाचना और हिलना शुरू कर देते हैं.

दरअसल, यह बीमारी (dinga dinga) मुख्य रूप से युगांडा (Uganda) के बुंदीबुग्यो जिलों की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही है, जिससे उनके शरीर में कंपन होती है, उन्हें चलने में कठिनाई होती है और शरीर जोर-जोर से हिलने लगता है, ये ऐसा लगता है जैसे यह महिलाएं डांस कर रही हैं. 

क्या है डिंगा डिंगा बीमारी 

रिपोर्ट्स के अनुसार, युगांडा के बुंदीबुग्यो जिले में पहली बार डिंगा डिंगा बीमारी सामने आई. इस बीमारी से परेशान लोगों में विचित्र लक्षण नजर आ रहे हैं. लोग डांस करने जैसी हरकतें कर रहे हैं और शरीर को बहुत ज्यादा हिला रहे हैं. साथ ही पीड़ितों को तेज बुखार, कमजोरी और कुछ गंभीर केसेस में लकवा तक पड़ रहा है. इस बीमारी से प्रभावित लोगों को चलने में कठिनाई हो रही है, शरीर में कंपन के साथ ऐसा महसूस होता है कि शरीर नियंत्रण में ही नहीं है. फिलहाल अफ्रीका में डिंगा-डिंगा बीमारी के फैलने का कारण नहीं पता चल पाया है, जिन इलाकों में यह बीमारी फैली है वहां के लोगों को अलर्ट रहने की सलाह जरूर दी गई है. 

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

क्या है डिंगा डिंगा का इलाज 

डिंगा डिंगा बीमारी के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि इसका कोई सटीक इलाज नहीं है, फिलहाल इसके लक्षणों पर नजर रखकर मरीज को दवा दी जा रही है. जिसमें एंटीबायोटिक दवा की मदद ली जा रही है, इन लक्षणों के साथ ही कमजोरी और पैरालिसिस की समस्या भी हो रही है.

खासकर यह बीमारी युगांडा की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही हैं. बताया जा रहा है कि बुंदीबुग्यो में इस बीमारी के 300 से ज्यादा मामले सामने आए है. हालांकि, किसी की मृत्यु नहीं हुई है, पहली बार 2023 में इस बीमारी के बारे में पता चला था. इस पर डॉक्टर भी एनालिसिस के लिए सैंपल लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय भेज रहे हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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दरअसल, यह बीमारी (dinga dinga) मुख्य रूप से युगांडा (Uganda) के बुंदीबुग्यो जिलों की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही है, जिससे उनके शरीर में कंपन होती है, उन्हें चलने में कठिनाई होती है और शरीर जोर-जोर से हिलने लगता है, ये ऐसा लगता है जैसे यह महिलाएं डांस कर रही हैं. 

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खासकर यह बीमारी युगांडा की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही हैं. बताया जा रहा है कि बुंदीबुग्यो में इस बीमारी के 300 से ज्यादा मामले सामने आए है. हालांकि, किसी की मृत्यु नहीं हुई है, पहली बार 2023 में इस बीमारी के बारे में पता चला था. इस पर डॉक्टर भी एनालिसिस के लिए सैंपल लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय भेज रहे हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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दरअसल, यह बीमारी (dinga dinga) मुख्य रूप से युगांडा (Uganda) के बुंदीबुग्यो जिलों की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही है, जिससे उनके शरीर में कंपन होती है, उन्हें चलने में कठिनाई होती है और शरीर जोर-जोर से हिलने लगता है, ये ऐसा लगता है जैसे यह महिलाएं डांस कर रही हैं. 

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रिपोर्ट्स के अनुसार, युगांडा के बुंदीबुग्यो जिले में पहली बार डिंगा डिंगा बीमारी सामने आई. इस बीमारी से परेशान लोगों में विचित्र लक्षण नजर आ रहे हैं. लोग डांस करने जैसी हरकतें कर रहे हैं और शरीर को बहुत ज्यादा हिला रहे हैं. साथ ही पीड़ितों को तेज बुखार, कमजोरी और कुछ गंभीर केसेस में लकवा तक पड़ रहा है. इस बीमारी से प्रभावित लोगों को चलने में कठिनाई हो रही है, शरीर में कंपन के साथ ऐसा महसूस होता है कि शरीर नियंत्रण में ही नहीं है. फिलहाल अफ्रीका में डिंगा-डिंगा बीमारी के फैलने का कारण नहीं पता चल पाया है, जिन इलाकों में यह बीमारी फैली है वहां के लोगों को अलर्ट रहने की सलाह जरूर दी गई है. 

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डिंगा डिंगा बीमारी के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि इसका कोई सटीक इलाज नहीं है, फिलहाल इसके लक्षणों पर नजर रखकर मरीज को दवा दी जा रही है. जिसमें एंटीबायोटिक दवा की मदद ली जा रही है, इन लक्षणों के साथ ही कमजोरी और पैरालिसिस की समस्या भी हो रही है.

खासकर यह बीमारी युगांडा की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही हैं. बताया जा रहा है कि बुंदीबुग्यो में इस बीमारी के 300 से ज्यादा मामले सामने आए है. हालांकि, किसी की मृत्यु नहीं हुई है, पहली बार 2023 में इस बीमारी के बारे में पता चला था. इस पर डॉक्टर भी एनालिसिस के लिए सैंपल लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय भेज रहे हैं.

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दरअसल, यह बीमारी (dinga dinga) मुख्य रूप से युगांडा (Uganda) के बुंदीबुग्यो जिलों की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही है, जिससे उनके शरीर में कंपन होती है, उन्हें चलने में कठिनाई होती है और शरीर जोर-जोर से हिलने लगता है, ये ऐसा लगता है जैसे यह महिलाएं डांस कर रही हैं. 

क्या है डिंगा डिंगा बीमारी 

रिपोर्ट्स के अनुसार, युगांडा के बुंदीबुग्यो जिले में पहली बार डिंगा डिंगा बीमारी सामने आई. इस बीमारी से परेशान लोगों में विचित्र लक्षण नजर आ रहे हैं. लोग डांस करने जैसी हरकतें कर रहे हैं और शरीर को बहुत ज्यादा हिला रहे हैं. साथ ही पीड़ितों को तेज बुखार, कमजोरी और कुछ गंभीर केसेस में लकवा तक पड़ रहा है. इस बीमारी से प्रभावित लोगों को चलने में कठिनाई हो रही है, शरीर में कंपन के साथ ऐसा महसूस होता है कि शरीर नियंत्रण में ही नहीं है. फिलहाल अफ्रीका में डिंगा-डिंगा बीमारी के फैलने का कारण नहीं पता चल पाया है, जिन इलाकों में यह बीमारी फैली है वहां के लोगों को अलर्ट रहने की सलाह जरूर दी गई है. 

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क्या है डिंगा डिंगा का इलाज 

डिंगा डिंगा बीमारी के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि इसका कोई सटीक इलाज नहीं है, फिलहाल इसके लक्षणों पर नजर रखकर मरीज को दवा दी जा रही है. जिसमें एंटीबायोटिक दवा की मदद ली जा रही है, इन लक्षणों के साथ ही कमजोरी और पैरालिसिस की समस्या भी हो रही है.

खासकर यह बीमारी युगांडा की महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित कर रही हैं. बताया जा रहा है कि बुंदीबुग्यो में इस बीमारी के 300 से ज्यादा मामले सामने आए है. हालांकि, किसी की मृत्यु नहीं हुई है, पहली बार 2023 में इस बीमारी के बारे में पता चला था. इस पर डॉक्टर भी एनालिसिस के लिए सैंपल लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय भेज रहे हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

ये भी पढ़ें: साल 2025 तक ‘आंत स्वास्थ्य’ सबसे चर्चित विषय बन चुका होगा और यह बात समझ में भी आती है. देश भर में, खासकर भारत में और दिल्ली जैसे शहरों में लोगों को यह समझ में आने लगा है कि उनका पाचन तंत्र केवल भोजन को पचाने तक ही सीमित नहीं है. यह संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. रिसर्चर ने पाया है कि आंत और मस्तिष्क के बीच आंत-मस्तिष्क अक्ष के माध्यम से एक कार्यात्मक संबंध है और इस संबंध का उपयोग संचार के लिए किया जा सकता है. यह संचार नेटवर्क आपकी भावनाओं, तनाव के स्तर और आपके मानसिक स्वास्थ्य में हस्तक्षेप कर सकता है.

दिल्ली के लिए हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 64% लोगों ने पिछले 12 महीनों में पाचन संबंधी समस्याओं की सूचना दी और उनमें से लगभग आधे लोगों ने बताया कि इन समस्याओं ने उनके ऊर्जा स्तर और मनोदशा को बाधित किया. पेट का स्वास्थ्य हमारे दैनिक जीवन और कामकाज के तरीके का अभिन्न अंग है.

पेट के स्वास्थ्य पर इतना ध्यान क्यों दिया जा रहा है?

व्यस्त जिंदगी खाने की बदलती आदतें और विज्ञान में रोमांचक खोजों ने इस चर्चा को बढ़ावा दिया है. यह हमें ऊपर दिए गए सवाल पर वापस लाता है.

शहरी जीवनशैली एक संघर्ष क्यों है?

दिल्ली जैसे शहर में जीवन की गति अक्सर उपवास, प्रसंस्कृत भोजन, तनाव और बाकी सब चीजों की उपेक्षा करती है, जो सभी पेट को प्रभावित करती हैं. एसिड रिफ्लक्स, पेट में तकलीफ और चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम जैसी अन्य समस्याएं खतरे की घंटी बजा रही हैं. उदाहरण के लिए, दिल्ली गैस्ट्रोएंटरोलॉजी फोरम ने एक आंकड़े का दस्तावेजीकरण किया है, जिसमें दिखाया गया है कि पिछले पांच वर्षों में उस क्षेत्र में भी IBS में 15% की वृद्धि देखी गई है.

आजकल के आहार की दुर्दशा के बारे में क्या?

हालांकि ताज़ा पका हुआ भोजन खाना एक समझदारी भरा विचार है, लेकिन हममें से बहुत से लोग ज़रूरत के चलते ज़्यादातर फास्ट और पैकेज्ड आइटम ही खाते हैं. ये कम फाइबर वाले, पोषक तत्वों की कमी वाले खाद्य पदार्थ आंत के बैक्टीरिया को बिगाड़ देते हैं. अच्छी बात यह है कि अब बहुत से लोग किण्वित और पौधे आधारित आहारों की ओर रुख कर रहे हैं.माना जाता है कि ऐसे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन आंत की समस्याओं का कारण है.

मानसिक स्वास्थ्य से संबंध

तनाव और चिंता के बारे में जानकारी की बढ़ती मात्रा के कारण, लोग अपने मानसिक और आंत के स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ रहे हैं. कितनी बार ऐसा हुआ है कि आप दर्शकों के सामने प्रस्तुति देने जा रहे हैं और आपका पेट घूमने लगता है? यह आंत-मस्तिष्क संबंध है. यह पारस्परिक आधार पर काम करता है. अपने पेट की देखभाल करने का एक परिणाम तनाव प्रबंधन में सुधार की अपार संभावना है.

विज्ञान में रोमांचक प्रगति

आंत के स्वास्थ्य पर अभूतपूर्व शोध से पता चला है कि माइक्रोबायोम कितना महत्वपूर्ण है . ने अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देने, सूजन को कम करने और सही आहार और आदतों के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के तरीकों की पहचान की है.

सोशल मीडिया की भूमिका

इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने आंत के स्वास्थ्य को समझने और सुलभ बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है. प्रोबायोटिक से भरपूर रेसिपी से लेकर सरल स्वास्थ्य संबंधी टिप्स तक. प्रभावशाली लोग लोगों को अपने दैनिक जीवन में पेट के अनुकूल आदतों को शामिल करने में मदद कर रहे हैं.पेट का स्वास्थ्य सिर्फ़ एक चलन नहीं है. यह हमारे खुद की देखभाल करने के तरीके का एक ज़रूरी हिस्सा बनता जा रहा है. और अब समय आ गया है.

पेट के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सरल टिप्स

पेट के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना जटिल नहीं है. शुरू करने के लिए यहां कुछ कदम दिए गए हैं.

अपने आहार में ज़्यादा फाइबर शामिल करें: साबुत अनाज, ताज़े फल और सब्ज़ियां खाएं, ये पेट को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी हैं.

खुद को हाइड्रेट रखें: भरपूर पानी पीने से आपका पाचन तंत्र अच्छी तरह काम करता है.

पेट के लिए अच्छे खाद्य पदार्थ शामिल करें: अपने पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया को पोषण देने के लिए प्रोबायोटिक्स (जैसे दही और किमची) और प्रीबायोटिक्स (जैसे केला और प्याज़) शामिल करें.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

एंटीबायोटिक्स के साथ सावधान रहें: एंटीबायोटिक्स का उपयोग केवल तभी करें जब आपको उनकी आवश्यकता हो. उन्हें बार-बार लेने से आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ सकता है.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

अपने पेट को सही तरीके से पोषण दें: अपने पेट के बैक्टीरिया को पनपने में मदद करने के लिए दही और किमची जैसे प्रोबायोटिक्स और केले और प्याज जैसे प्रीबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें.

पेट को स्वस्थ रखने के लिए तनाव को प्रबंधित करें: योग, ध्यान या यहाँ तक कि बाहर की सैर जैसी सरल आदतें आपके पेट और समग्र स्वास्थ्य के लिए चमत्कार कर सकती हैं.

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दिल्ली के लिए हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 64% लोगों ने पिछले 12 महीनों में पाचन संबंधी समस्याओं की सूचना दी और उनमें से लगभग आधे लोगों ने बताया कि इन समस्याओं ने उनके ऊर्जा स्तर और मनोदशा को बाधित किया. पेट का स्वास्थ्य हमारे दैनिक जीवन और कामकाज के तरीके का अभिन्न अंग है.

पेट के स्वास्थ्य पर इतना ध्यान क्यों दिया जा रहा है?

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शहरी जीवनशैली एक संघर्ष क्यों है?

दिल्ली जैसे शहर में जीवन की गति अक्सर उपवास, प्रसंस्कृत भोजन, तनाव और बाकी सब चीजों की उपेक्षा करती है, जो सभी पेट को प्रभावित करती हैं. एसिड रिफ्लक्स, पेट में तकलीफ और चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम जैसी अन्य समस्याएं खतरे की घंटी बजा रही हैं. उदाहरण के लिए, दिल्ली गैस्ट्रोएंटरोलॉजी फोरम ने एक आंकड़े का दस्तावेजीकरण किया है, जिसमें दिखाया गया है कि पिछले पांच वर्षों में उस क्षेत्र में भी IBS में 15% की वृद्धि देखी गई है.

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मानसिक स्वास्थ्य से संबंध

तनाव और चिंता के बारे में जानकारी की बढ़ती मात्रा के कारण, लोग अपने मानसिक और आंत के स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ रहे हैं. कितनी बार ऐसा हुआ है कि आप दर्शकों के सामने प्रस्तुति देने जा रहे हैं और आपका पेट घूमने लगता है? यह आंत-मस्तिष्क संबंध है. यह पारस्परिक आधार पर काम करता है. अपने पेट की देखभाल करने का एक परिणाम तनाव प्रबंधन में सुधार की अपार संभावना है.

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इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने आंत के स्वास्थ्य को समझने और सुलभ बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है. प्रोबायोटिक से भरपूर रेसिपी से लेकर सरल स्वास्थ्य संबंधी टिप्स तक. प्रभावशाली लोग लोगों को अपने दैनिक जीवन में पेट के अनुकूल आदतों को शामिल करने में मदद कर रहे हैं.पेट का स्वास्थ्य सिर्फ़ एक चलन नहीं है. यह हमारे खुद की देखभाल करने के तरीके का एक ज़रूरी हिस्सा बनता जा रहा है. और अब समय आ गया है.

पेट के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सरल टिप्स

पेट के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना जटिल नहीं है. शुरू करने के लिए यहां कुछ कदम दिए गए हैं.

अपने आहार में ज़्यादा फाइबर शामिल करें: साबुत अनाज, ताज़े फल और सब्ज़ियां खाएं, ये पेट को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी हैं.

खुद को हाइड्रेट रखें: भरपूर पानी पीने से आपका पाचन तंत्र अच्छी तरह काम करता है.

पेट के लिए अच्छे खाद्य पदार्थ शामिल करें: अपने पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया को पोषण देने के लिए प्रोबायोटिक्स (जैसे दही और किमची) और प्रीबायोटिक्स (जैसे केला और प्याज़) शामिल करें.

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एंटीबायोटिक्स के साथ सावधान रहें: एंटीबायोटिक्स का उपयोग केवल तभी करें जब आपको उनकी आवश्यकता हो. उन्हें बार-बार लेने से आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ सकता है.

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अपने पेट को सही तरीके से पोषण दें: अपने पेट के बैक्टीरिया को पनपने में मदद करने के लिए दही और किमची जैसे प्रोबायोटिक्स और केले और प्याज जैसे प्रीबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें.

पेट को स्वस्थ रखने के लिए तनाव को प्रबंधित करें: योग, ध्यान या यहाँ तक कि बाहर की सैर जैसी सरल आदतें आपके पेट और समग्र स्वास्थ्य के लिए चमत्कार कर सकती हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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दिल्ली के लिए हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 64% लोगों ने पिछले 12 महीनों में पाचन संबंधी समस्याओं की सूचना दी और उनमें से लगभग आधे लोगों ने बताया कि इन समस्याओं ने उनके ऊर्जा स्तर और मनोदशा को बाधित किया. पेट का स्वास्थ्य हमारे दैनिक जीवन और कामकाज के तरीके का अभिन्न अंग है.

पेट के स्वास्थ्य पर इतना ध्यान क्यों दिया जा रहा है?

व्यस्त जिंदगी खाने की बदलती आदतें और विज्ञान में रोमांचक खोजों ने इस चर्चा को बढ़ावा दिया है. यह हमें ऊपर दिए गए सवाल पर वापस लाता है.

शहरी जीवनशैली एक संघर्ष क्यों है?

दिल्ली जैसे शहर में जीवन की गति अक्सर उपवास, प्रसंस्कृत भोजन, तनाव और बाकी सब चीजों की उपेक्षा करती है, जो सभी पेट को प्रभावित करती हैं. एसिड रिफ्लक्स, पेट में तकलीफ और चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम जैसी अन्य समस्याएं खतरे की घंटी बजा रही हैं. उदाहरण के लिए, दिल्ली गैस्ट्रोएंटरोलॉजी फोरम ने एक आंकड़े का दस्तावेजीकरण किया है, जिसमें दिखाया गया है कि पिछले पांच वर्षों में उस क्षेत्र में भी IBS में 15% की वृद्धि देखी गई है.

आजकल के आहार की दुर्दशा के बारे में क्या?

हालांकि ताज़ा पका हुआ भोजन खाना एक समझदारी भरा विचार है, लेकिन हममें से बहुत से लोग ज़रूरत के चलते ज़्यादातर फास्ट और पैकेज्ड आइटम ही खाते हैं. ये कम फाइबर वाले, पोषक तत्वों की कमी वाले खाद्य पदार्थ आंत के बैक्टीरिया को बिगाड़ देते हैं. अच्छी बात यह है कि अब बहुत से लोग किण्वित और पौधे आधारित आहारों की ओर रुख कर रहे हैं.माना जाता है कि ऐसे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन आंत की समस्याओं का कारण है.

मानसिक स्वास्थ्य से संबंध

तनाव और चिंता के बारे में जानकारी की बढ़ती मात्रा के कारण, लोग अपने मानसिक और आंत के स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ रहे हैं. कितनी बार ऐसा हुआ है कि आप दर्शकों के सामने प्रस्तुति देने जा रहे हैं और आपका पेट घूमने लगता है? यह आंत-मस्तिष्क संबंध है. यह पारस्परिक आधार पर काम करता है. अपने पेट की देखभाल करने का एक परिणाम तनाव प्रबंधन में सुधार की अपार संभावना है.

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आंत के स्वास्थ्य पर अभूतपूर्व शोध से पता चला है कि माइक्रोबायोम कितना महत्वपूर्ण है . ने अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देने, सूजन को कम करने और सही आहार और आदतों के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के तरीकों की पहचान की है.

सोशल मीडिया की भूमिका

इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने आंत के स्वास्थ्य को समझने और सुलभ बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है. प्रोबायोटिक से भरपूर रेसिपी से लेकर सरल स्वास्थ्य संबंधी टिप्स तक. प्रभावशाली लोग लोगों को अपने दैनिक जीवन में पेट के अनुकूल आदतों को शामिल करने में मदद कर रहे हैं.पेट का स्वास्थ्य सिर्फ़ एक चलन नहीं है. यह हमारे खुद की देखभाल करने के तरीके का एक ज़रूरी हिस्सा बनता जा रहा है. और अब समय आ गया है.

पेट के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सरल टिप्स

पेट के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना जटिल नहीं है. शुरू करने के लिए यहां कुछ कदम दिए गए हैं.

अपने आहार में ज़्यादा फाइबर शामिल करें: साबुत अनाज, ताज़े फल और सब्ज़ियां खाएं, ये पेट को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी हैं.

खुद को हाइड्रेट रखें: भरपूर पानी पीने से आपका पाचन तंत्र अच्छी तरह काम करता है.

पेट के लिए अच्छे खाद्य पदार्थ शामिल करें: अपने पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया को पोषण देने के लिए प्रोबायोटिक्स (जैसे दही और किमची) और प्रीबायोटिक्स (जैसे केला और प्याज़) शामिल करें.

यह भी पढ़ें : स्पेस में लगातार कम हो रहा है सुनीता विलियम्स का वजन, जानें अचानक वेट लॉस कितना खतरनाक

एंटीबायोटिक्स के साथ सावधान रहें: एंटीबायोटिक्स का उपयोग केवल तभी करें जब आपको उनकी आवश्यकता हो. उन्हें बार-बार लेने से आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ सकता है.

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अपने पेट को सही तरीके से पोषण दें: अपने पेट के बैक्टीरिया को पनपने में मदद करने के लिए दही और किमची जैसे प्रोबायोटिक्स और केले और प्याज जैसे प्रीबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें.

पेट को स्वस्थ रखने के लिए तनाव को प्रबंधित करें: योग, ध्यान या यहाँ तक कि बाहर की सैर जैसी सरल आदतें आपके पेट और समग्र स्वास्थ्य के लिए चमत्कार कर सकती हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

ये भी पढ़ें: साल 2025 तक ‘आंत स्वास्थ्य’ सबसे चर्चित विषय बन चुका होगा और यह बात समझ में भी आती है. देश भर में, खासकर भारत में और दिल्ली जैसे शहरों में लोगों को यह समझ में आने लगा है कि उनका पाचन तंत्र केवल भोजन को पचाने तक ही सीमित नहीं है. यह संपूर्ण शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है. रिसर्चर ने पाया है कि आंत और मस्तिष्क के बीच आंत-मस्तिष्क अक्ष के माध्यम से एक कार्यात्मक संबंध है और इस संबंध का उपयोग संचार के लिए किया जा सकता है. यह संचार नेटवर्क आपकी भावनाओं, तनाव के स्तर और आपके मानसिक स्वास्थ्य में हस्तक्षेप कर सकता है.

दिल्ली के लिए हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 64% लोगों ने पिछले 12 महीनों में पाचन संबंधी समस्याओं की सूचना दी और उनमें से लगभग आधे लोगों ने बताया कि इन समस्याओं ने उनके ऊर्जा स्तर और मनोदशा को बाधित किया. पेट का स्वास्थ्य हमारे दैनिक जीवन और कामकाज के तरीके का अभिन्न अंग है.

पेट के स्वास्थ्य पर इतना ध्यान क्यों दिया जा रहा है?

व्यस्त जिंदगी खाने की बदलती आदतें और विज्ञान में रोमांचक खोजों ने इस चर्चा को बढ़ावा दिया है. यह हमें ऊपर दिए गए सवाल पर वापस लाता है.

शहरी जीवनशैली एक संघर्ष क्यों है?

दिल्ली जैसे शहर में जीवन की गति अक्सर उपवास, प्रसंस्कृत भोजन, तनाव और बाकी सब चीजों की उपेक्षा करती है, जो सभी पेट को प्रभावित करती हैं. एसिड रिफ्लक्स, पेट में तकलीफ और चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम जैसी अन्य समस्याएं खतरे की घंटी बजा रही हैं. उदाहरण के लिए, दिल्ली गैस्ट्रोएंटरोलॉजी फोरम ने एक आंकड़े का दस्तावेजीकरण किया है, जिसमें दिखाया गया है कि पिछले पांच वर्षों में उस क्षेत्र में भी IBS में 15% की वृद्धि देखी गई है.

आजकल के आहार की दुर्दशा के बारे में क्या?

हालांकि ताज़ा पका हुआ भोजन खाना एक समझदारी भरा विचार है, लेकिन हममें से बहुत से लोग ज़रूरत के चलते ज़्यादातर फास्ट और पैकेज्ड आइटम ही खाते हैं. ये कम फाइबर वाले, पोषक तत्वों की कमी वाले खाद्य पदार्थ आंत के बैक्टीरिया को बिगाड़ देते हैं. अच्छी बात यह है कि अब बहुत से लोग किण्वित और पौधे आधारित आहारों की ओर रुख कर रहे हैं.माना जाता है कि ऐसे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन आंत की समस्याओं का कारण है.

मानसिक स्वास्थ्य से संबंध

तनाव और चिंता के बारे में जानकारी की बढ़ती मात्रा के कारण, लोग अपने मानसिक और आंत के स्वास्थ्य को एक साथ जोड़ रहे हैं. कितनी बार ऐसा हुआ है कि आप दर्शकों के सामने प्रस्तुति देने जा रहे हैं और आपका पेट घूमने लगता है? यह आंत-मस्तिष्क संबंध है. यह पारस्परिक आधार पर काम करता है. अपने पेट की देखभाल करने का एक परिणाम तनाव प्रबंधन में सुधार की अपार संभावना है.

विज्ञान में रोमांचक प्रगति

आंत के स्वास्थ्य पर अभूतपूर्व शोध से पता चला है कि माइक्रोबायोम कितना महत्वपूर्ण है . ने अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ावा देने, सूजन को कम करने और सही आहार और आदतों के साथ प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के तरीकों की पहचान की है.

सोशल मीडिया की भूमिका

इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने आंत के स्वास्थ्य को समझने और सुलभ बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है. प्रोबायोटिक से भरपूर रेसिपी से लेकर सरल स्वास्थ्य संबंधी टिप्स तक. प्रभावशाली लोग लोगों को अपने दैनिक जीवन में पेट के अनुकूल आदतों को शामिल करने में मदद कर रहे हैं.पेट का स्वास्थ्य सिर्फ़ एक चलन नहीं है. यह हमारे खुद की देखभाल करने के तरीके का एक ज़रूरी हिस्सा बनता जा रहा है. और अब समय आ गया है.

पेट के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सरल टिप्स

पेट के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना जटिल नहीं है. शुरू करने के लिए यहां कुछ कदम दिए गए हैं.

अपने आहार में ज़्यादा फाइबर शामिल करें: साबुत अनाज, ताज़े फल और सब्ज़ियां खाएं, ये पेट को स्वस्थ रखने के लिए ज़रूरी हैं.

खुद को हाइड्रेट रखें: भरपूर पानी पीने से आपका पाचन तंत्र अच्छी तरह काम करता है.

पेट के लिए अच्छे खाद्य पदार्थ शामिल करें: अपने पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया को पोषण देने के लिए प्रोबायोटिक्स (जैसे दही और किमची) और प्रीबायोटिक्स (जैसे केला और प्याज़) शामिल करें.

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एंटीबायोटिक्स के साथ सावधान रहें: एंटीबायोटिक्स का उपयोग केवल तभी करें जब आपको उनकी आवश्यकता हो. उन्हें बार-बार लेने से आपके पेट में अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ सकता है.

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अपने पेट को सही तरीके से पोषण दें: अपने पेट के बैक्टीरिया को पनपने में मदद करने के लिए दही और किमची जैसे प्रोबायोटिक्स और केले और प्याज जैसे प्रीबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें.

पेट को स्वस्थ रखने के लिए तनाव को प्रबंधित करें: योग, ध्यान या यहाँ तक कि बाहर की सैर जैसी सरल आदतें आपके पेट और समग्र स्वास्थ्य के लिए चमत्कार कर सकती हैं.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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IVF and Twin Pregnancy : चार साल पहले की बात है राजस्थान के श्रीगंगानर में एक महिला ने एक साथ 4 बच्चों को जन्म दिया था. सिजेरियन डिलिवरी से 8वें महीने में चारों बच्चों का जन्म हुआ. महिला IVF से प्रेगनेंट हुई थी. आईवीएफ यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें महिला के एग्स और पुरुष के स्पर्म को गर्भ से बाहर एक टेस्ट ट्यूब में फर्टिलाइज कर भ्रूण तैयार किया जाता है, फिर उसे विकसित होने के लिए वापस महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आईवीएफ से जुड़वा बच्चे भी हो सकते हैं. अगर हां तो इसमें कितना चांस होता है...

यह भी पढ़ें: सावधान ! बिल्लियां तेजी से फैला सकती हैं Bird Flu, रिसर्च में हैरान करने वाला खुलासा

IVF से एक से ज्यादा बच्चे होने की कितनी संभावना 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, आईवीएफ में एक से ज्यादा बच्चे होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसकी सबसे बड़ी वजह जाइबोट है. सामान्य प्रक्रिया में एग्स और स्पर्म से जाइबोट महिला के शरीर में ही बनता है. इसकी संख्या एक ही रहती है. जबकि, आईवीएफ में जाइबोट बाहर ट्यूब में तैयार होता है. इसमें सक्सेस रेट ज्यादा बनाए रखने के लिए एक से ज्यादा जाइबोट बनाए जाते हैं, जिसकी वजह से आईवीएफ में बच्चों की संख्या एक से ज्यादा होने का चांस भी ज्यादा रहता है.

IVF में जुड़वा बच्चे होने का कितना चांस

एक रिपोर्ट के अनुसार, आईवीएफ के जरिए जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावना करीब 25% तक होती है. वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स और प्रजनन केंद्रों की रिपोर्टों के अनुसार, आईवीएफ से जुड़वा बच्चों के होने का चांस 25-30% तक हो सकती है. हालांकि, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे ट्रांसफर भ्रूणों की संख्या, इलाज कराने वाली महिला की उम्र, एम्ब्रियो की क्वॉलिटी.

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आईवीएफ में जुड़वा बच्चे होने के रिस्क

1. गर्भावस्था की जटिलताएं बढ़ सकती हैं.

2. डिलीवरी में दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

3. जुड़वा बच्चे होने से उनका वजन कम हो सकता है.

4. जुड़वा बच्चे होने से शिशुओं में जन्म दोष की आशंका रहती है.

आईवीएफ में जुड़वा बच्चे होने के विकल्प

1. सिंगल फीटस ट्रांसफर

2. ट्विंस फीटस ट्रांसफर

3. फीटस यानी भ्रूण की संख्या को कम करना

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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IVF से एक से ज्यादा बच्चे होने की कितनी संभावना 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, आईवीएफ में एक से ज्यादा बच्चे होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसकी सबसे बड़ी वजह जाइबोट है. सामान्य प्रक्रिया में एग्स और स्पर्म से जाइबोट महिला के शरीर में ही बनता है. इसकी संख्या एक ही रहती है. जबकि, आईवीएफ में जाइबोट बाहर ट्यूब में तैयार होता है. इसमें सक्सेस रेट ज्यादा बनाए रखने के लिए एक से ज्यादा जाइबोट बनाए जाते हैं, जिसकी वजह से आईवीएफ में बच्चों की संख्या एक से ज्यादा होने का चांस भी ज्यादा रहता है.

IVF में जुड़वा बच्चे होने का कितना चांस

एक रिपोर्ट के अनुसार, आईवीएफ के जरिए जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावना करीब 25% तक होती है. वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स और प्रजनन केंद्रों की रिपोर्टों के अनुसार, आईवीएफ से जुड़वा बच्चों के होने का चांस 25-30% तक हो सकती है. हालांकि, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे ट्रांसफर भ्रूणों की संख्या, इलाज कराने वाली महिला की उम्र, एम्ब्रियो की क्वॉलिटी.

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1. गर्भावस्था की जटिलताएं बढ़ सकती हैं.

2. डिलीवरी में दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

3. जुड़वा बच्चे होने से उनका वजन कम हो सकता है.

4. जुड़वा बच्चे होने से शिशुओं में जन्म दोष की आशंका रहती है.

आईवीएफ में जुड़वा बच्चे होने के विकल्प

1. सिंगल फीटस ट्रांसफर

2. ट्विंस फीटस ट्रांसफर

3. फीटस यानी भ्रूण की संख्या को कम करना

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एक्सपर्ट्स के अनुसार, आईवीएफ में एक से ज्यादा बच्चे होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसकी सबसे बड़ी वजह जाइबोट है. सामान्य प्रक्रिया में एग्स और स्पर्म से जाइबोट महिला के शरीर में ही बनता है. इसकी संख्या एक ही रहती है. जबकि, आईवीएफ में जाइबोट बाहर ट्यूब में तैयार होता है. इसमें सक्सेस रेट ज्यादा बनाए रखने के लिए एक से ज्यादा जाइबोट बनाए जाते हैं, जिसकी वजह से आईवीएफ में बच्चों की संख्या एक से ज्यादा होने का चांस भी ज्यादा रहता है.

IVF में जुड़वा बच्चे होने का कितना चांस

एक रिपोर्ट के अनुसार, आईवीएफ के जरिए जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावना करीब 25% तक होती है. वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स और प्रजनन केंद्रों की रिपोर्टों के अनुसार, आईवीएफ से जुड़वा बच्चों के होने का चांस 25-30% तक हो सकती है. हालांकि, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे ट्रांसफर भ्रूणों की संख्या, इलाज कराने वाली महिला की उम्र, एम्ब्रियो की क्वॉलिटी.

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2. डिलीवरी में दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

3. जुड़वा बच्चे होने से उनका वजन कम हो सकता है.

4. जुड़वा बच्चे होने से शिशुओं में जन्म दोष की आशंका रहती है.

आईवीएफ में जुड़वा बच्चे होने के विकल्प

1. सिंगल फीटस ट्रांसफर

2. ट्विंस फीटस ट्रांसफर

3. फीटस यानी भ्रूण की संख्या को कम करना

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एक्सपर्ट्स के अनुसार, आईवीएफ में एक से ज्यादा बच्चे होने की संभावना ज्यादा रहती है. इसकी सबसे बड़ी वजह जाइबोट है. सामान्य प्रक्रिया में एग्स और स्पर्म से जाइबोट महिला के शरीर में ही बनता है. इसकी संख्या एक ही रहती है. जबकि, आईवीएफ में जाइबोट बाहर ट्यूब में तैयार होता है. इसमें सक्सेस रेट ज्यादा बनाए रखने के लिए एक से ज्यादा जाइबोट बनाए जाते हैं, जिसकी वजह से आईवीएफ में बच्चों की संख्या एक से ज्यादा होने का चांस भी ज्यादा रहता है.

IVF में जुड़वा बच्चे होने का कितना चांस

एक रिपोर्ट के अनुसार, आईवीएफ के जरिए जुड़वां बच्चे (Twins) होने की संभावना करीब 25% तक होती है. वहीं, कुछ एक्सपर्ट्स और प्रजनन केंद्रों की रिपोर्टों के अनुसार, आईवीएफ से जुड़वा बच्चों के होने का चांस 25-30% तक हो सकती है. हालांकि, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. जैसे ट्रांसफर भ्रूणों की संख्या, इलाज कराने वाली महिला की उम्र, एम्ब्रियो की क्वॉलिटी.

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1. गर्भावस्था की जटिलताएं बढ़ सकती हैं.

2. डिलीवरी में दिक्कतें बढ़ सकती हैं.

3. जुड़वा बच्चे होने से उनका वजन कम हो सकता है.

4. जुड़वा बच्चे होने से शिशुओं में जन्म दोष की आशंका रहती है.

आईवीएफ में जुड़वा बच्चे होने के विकल्प

1. सिंगल फीटस ट्रांसफर

2. ट्विंस फीटस ट्रांसफर

3. फीटस यानी भ्रूण की संख्या को कम करना

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ये भी पढ़ें: डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसे आप अच्छी डाइट और अच्छी लाइफस्टाइल से कंट्रोल कर सकते हैं. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो डाइट में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, हाई फाइबर और रफेज वाले फूड आइटम ज्यादा खाने की कोशिश करनी चाहिए. मखाना एक ऐसा ड्राई फ्रूट है जो कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के साथ-साथ फाइबर से भरपूर होता है. इसमें मौजूद फाइबर शुगर को सोखने का काम करता है और मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाकर पाचन में मदद कर सकता है.आइए जानते हैं डायबिटीज के मरीजों को एक दिन में कब और कितनी मात्रा में मखाना खाना चाहिए.

क्या डायबिटीज में मखाना खाया जा सकता है?

मखाना एक कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला ड्राई फ्रूट है. यह शरीर में धीरे-धीरे एनर्जी को बैलेंस करके शुगर स्पाइक्स को रोकने में मदद करता है. इसका फाइबर शुगर मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और शरीर में अतिरिक्त शुगर को जमा होने और खून में मिलने से रोकता है. फिर यह डायबिटीज में मल त्याग को बेहतर बनाकर कब्ज को रोकता है. मखाना मैग्नीशियम से भरपूर होता है, इसलिए यह शरीर में ऑक्सीजन और ब्लड प्रेशर को काफी बेहतर बनाता है. इससे डायबिटीज में हृदय रोग का खतरा कम होता है.

ये भी पढ़ें: पेट में है ट्यूमर तो शरीर देने लगती है ये संकेत, जिन्हें आपको नहीं करना चाहिए नज़रअंदाज

मधुमेह में मखाना कब और कितना खाना चाहिए?

मधुमेह में मखाना आप कई तरह से खा सकते हैं. लेकिन सबसे हेल्दी तरीका है कि इसे नाश्ते के समय दूध में भिगो दें और फिर आधे घंटे बाद खा लें. इसके अलावा आप इसे नाश्ते के तौर पर या इसकी खिचड़ी बनाकर भी खा सकते हैं. डायबिटीज के मरीजों को हर दिन सिर्फ 2 से 3 मुट्ठी यानी करीब 30 ग्राम मखाना ही खाना चाहिए. ऐसा करने से शुगर स्पाइक्स को रोकने और फिर डायबिटीज को मैनेज करने में मदद मिल सकती है. इस तरह इसका सेवन डायबिटीज में शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है.इसलिए अगर आपको मधुमेह है तो इस ड्राई फ्रूट को अपने आहार में जरूर शामिल करें.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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डायबिटीज में मखाने खाने से शुगर लेवल बढ़ तो नहीं जाएगा? जानें खाने का सही तरीका

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसे आप अच्छी डाइट और अच्छी लाइफस्टाइल से कंट्रोल कर सकते हैं. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो डाइट में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स, हाई फाइबर और रफेज वाले फूड आइटम ज्यादा खाने की कोशिश करनी चाहिए. मखाना एक ऐसा ड्राई फ्रूट है जो कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के साथ-साथ फाइबर से भरपूर होता है. इसमें मौजूद फाइबर शुगर को सोखने का काम करता है और मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाकर पाचन में मदद कर सकता है.आइए जानते हैं डायबिटीज के मरीजों को एक दिन में कब और कितनी मात्रा में मखाना खाना चाहिए.

क्या डायबिटीज में मखाना खाया जा सकता है?

मखाना एक कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला ड्राई फ्रूट है. यह शरीर में धीरे-धीरे एनर्जी को बैलेंस करके शुगर स्पाइक्स को रोकने में मदद करता है. इसका फाइबर शुगर मेटाबॉलिज्म को तेज करता है और शरीर में अतिरिक्त शुगर को जमा होने और खून में मिलने से रोकता है. फिर यह डायबिटीज में मल त्याग को बेहतर बनाकर कब्ज को रोकता है. मखाना मैग्नीशियम से भरपूर होता है, इसलिए यह शरीर में ऑक्सीजन और ब्लड प्रेशर को काफी बेहतर बनाता है. इससे डायबिटीज में हृदय रोग का खतरा कम होता है.

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मधुमेह में मखाना कब और कितना खाना चाहिए?

मधुमेह में मखाना आप कई तरह से खा सकते हैं. लेकिन सबसे हेल्दी तरीका है कि इसे नाश्ते के समय दूध में भिगो दें और फिर आधे घंटे बाद खा लें. इसके अलावा आप इसे नाश्ते के तौर पर या इसकी खिचड़ी बनाकर भी खा सकते हैं. डायबिटीज के मरीजों को हर दिन सिर्फ 2 से 3 मुट्ठी यानी करीब 30 ग्राम मखाना ही खाना चाहिए. ऐसा करने से शुगर स्पाइक्स को रोकने और फिर डायबिटीज को मैनेज करने में मदद मिल सकती है. इस तरह इसका सेवन डायबिटीज में शुगर को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है.इसलिए अगर आपको मधुमेह है तो इस ड्राई फ्रूट को अपने आहार में जरूर शामिल करें.

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

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<p style="text-align: justify;">डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसे आप अच्छी डाइट और अच्छी लाइफस्टाइल से कंट…